अब कहू चांदनी चौक की,जो आगे अरस के बड़े द्वार।
चारो तरफो चौखुटी,जित नित होत बिहार।।
अब चांदनी चोक की सोभा का वर्णन करते हे,जो रंगमहल के मुख्य द्वार के सामने आया है। वह समचोरस (चौकोन)आकृति में है, जहा नित्य प्रति प्रेम -आनंद से परिपूर्ण लीलाए होती है।
एह चौक पाच सौ मंदिर भए,एह घाट अमृत वन।
ताको दोनों तरफॉ वन बनया, चांदनी बिच रोसन।।
यह चौक अमृत वन के अंतर्गत आया है। अमृत वन 2000 मंदिर लम्बा और 500 मंदिर चोडा है।जिसके पश्चिम में रंगमहल के लगातार 166 मंदिर की लंबी- चोडी जगह में अगमगता हुआ, खुले आकास वाला चंदनि चोक आया है। इसके दोनों तरफ अमृत वन शोभायमान है।
कहु रसोई के चौक की,देखो विवेक इस ठाम।
अस्सी मंदिर की बाखर,जित दस मंदिर सेत स्याम।।
२८थंभ के चौक के सामने पहली चौरस हवेली रसोई की है। इसकी सोभा विवेकपूर्वक देखिये। यह चौक अस्सी मंदिर का है (चारो दीसा में २०-२० मंदिर आये है) हवेली की उत्तर दिसा में (बड़े दरवाजे व् इसान कोण के मंदिर के मध्य) स्याम व स्वेत रंग के मंदिर सहित कुल दस मंदिर आये है।
दस स्याम सेत मुकाबिल, दस के मेहराबी द्वार।
रहे इन के द्वार दीवाल में, ऐ मोमिन देखन हार।।
उत्तर दिशा में आए स्याम स्वेत सहित दस मंदिरो के सामने हवेली की दक्षिण दिशा में भी दस दस मंदिर सोभित है। उतर और दक्षिण के बड़े दरवाजो के पश्चिम दिशा में दस-दस मंदिर की दहलाने है, जिनकी भीतरी तरफ दस-दस मेहराब है। तथा बाहिरी तरफ दीवार में दस-दस दरवाजे है. जिनकी शोभा मोमिन ही देखते है।
पैठते इन चौक में, बड़ा कह्या जो द्वार।
पांच बाए पांच दाहिने, दस द्वार मेहराबी द्वार सुमार।।
रसोई की हवेली में जब पूर्व दिशा से प्रवेश करते है, तो यहां बड़ा दरवाजा व् इसके दाये-बाए के पांच-पांच मंदिरो की जगह में ग्यारह मंदिर की दहलान आयीं है, जिसमे दस-दस सतम्बभो की दो हार आयीं है। दहलान के उतर-दक्षिण में पाँच-पांच मंदिर सोभा ले रहे है।
ए हार द्वार थम्भन की,ताको दहलान मेहराबी द्वार।
यो हार बीस मंदिर की, करे जुगल सरूप बिहार।।
रसोई की हवेली की पूर्व दिशा में १०-१० स्तम्भो की दो हारे आने से दहलान की सोभा दिखाई दे रही है। दस मंदिर की दहलान के दाये बाए पाँच-पाँच मंदिर आने से बीस मंदिर हुए । यहाँ युगल स्वरूप श्री राज स्यामा जी प्रेम व् आनंदपूर्वक लीला विहार करते है।
💎💎💎💎💎💎💎💎💎💎💎
एक हीरे का अरश है, जाकी हास दोए सौ एक।
ऐ हिसाब से बाहिर, कई हवेली मंदिर चौक अनेक।।
💎💎💎💎💎💎💎💎💎💎💎
परमधाम (रंगमहल) एक ही नुरमयी हिरे का है, जिसमे २०१ हास है। इनमें आई नूरी हवेलियों, मंदिरो और चौकों का कोई सुमार (हिसाब,सिमा) नहीं है,
चारो तरफो चौखुटी,जित नित होत बिहार।।
अब चांदनी चोक की सोभा का वर्णन करते हे,जो रंगमहल के मुख्य द्वार के सामने आया है। वह समचोरस (चौकोन)आकृति में है, जहा नित्य प्रति प्रेम -आनंद से परिपूर्ण लीलाए होती है।
एह चौक पाच सौ मंदिर भए,एह घाट अमृत वन।
ताको दोनों तरफॉ वन बनया, चांदनी बिच रोसन।।
यह चौक अमृत वन के अंतर्गत आया है। अमृत वन 2000 मंदिर लम्बा और 500 मंदिर चोडा है।जिसके पश्चिम में रंगमहल के लगातार 166 मंदिर की लंबी- चोडी जगह में अगमगता हुआ, खुले आकास वाला चंदनि चोक आया है। इसके दोनों तरफ अमृत वन शोभायमान है।
कहु रसोई के चौक की,देखो विवेक इस ठाम।
अस्सी मंदिर की बाखर,जित दस मंदिर सेत स्याम।।
२८थंभ के चौक के सामने पहली चौरस हवेली रसोई की है। इसकी सोभा विवेकपूर्वक देखिये। यह चौक अस्सी मंदिर का है (चारो दीसा में २०-२० मंदिर आये है) हवेली की उत्तर दिसा में (बड़े दरवाजे व् इसान कोण के मंदिर के मध्य) स्याम व स्वेत रंग के मंदिर सहित कुल दस मंदिर आये है।
दस स्याम सेत मुकाबिल, दस के मेहराबी द्वार।
रहे इन के द्वार दीवाल में, ऐ मोमिन देखन हार।।
उत्तर दिशा में आए स्याम स्वेत सहित दस मंदिरो के सामने हवेली की दक्षिण दिशा में भी दस दस मंदिर सोभित है। उतर और दक्षिण के बड़े दरवाजो के पश्चिम दिशा में दस-दस मंदिर की दहलाने है, जिनकी भीतरी तरफ दस-दस मेहराब है। तथा बाहिरी तरफ दीवार में दस-दस दरवाजे है. जिनकी शोभा मोमिन ही देखते है।
पैठते इन चौक में, बड़ा कह्या जो द्वार।
पांच बाए पांच दाहिने, दस द्वार मेहराबी द्वार सुमार।।
रसोई की हवेली में जब पूर्व दिशा से प्रवेश करते है, तो यहां बड़ा दरवाजा व् इसके दाये-बाए के पांच-पांच मंदिरो की जगह में ग्यारह मंदिर की दहलान आयीं है, जिसमे दस-दस सतम्बभो की दो हार आयीं है। दहलान के उतर-दक्षिण में पाँच-पांच मंदिर सोभा ले रहे है।
ए हार द्वार थम्भन की,ताको दहलान मेहराबी द्वार।
यो हार बीस मंदिर की, करे जुगल सरूप बिहार।।
रसोई की हवेली की पूर्व दिशा में १०-१० स्तम्भो की दो हारे आने से दहलान की सोभा दिखाई दे रही है। दस मंदिर की दहलान के दाये बाए पाँच-पाँच मंदिर आने से बीस मंदिर हुए । यहाँ युगल स्वरूप श्री राज स्यामा जी प्रेम व् आनंदपूर्वक लीला विहार करते है।
💎💎💎💎💎💎💎💎💎💎💎
एक हीरे का अरश है, जाकी हास दोए सौ एक।
ऐ हिसाब से बाहिर, कई हवेली मंदिर चौक अनेक।।
💎💎💎💎💎💎💎💎💎💎💎
परमधाम (रंगमहल) एक ही नुरमयी हिरे का है, जिसमे २०१ हास है। इनमें आई नूरी हवेलियों, मंदिरो और चौकों का कोई सुमार (हिसाब,सिमा) नहीं है,
No comments:
Post a Comment