Friday 22 January 2016

'जागनी रास'

आज द्वेत से अद्वैत में जाने का इश्क़ की शराब पिने का दिल हो रहा था ।

आँखों में साकी के जाम को दिल से निकल ने वाली शराबे आब को तालु से लगाने मेरे कदम बढ़ रहे है ।

मेने गुम्मट जी का ध्यान करते हुवे गुम्मट जी के सिंहासन को निहारा और प्रणाम किये दण्डवत ।
सामने बैठी बेठी धनि के आँखों में गुम्मट जी दरबार में अर्श के जमुना जी को दिल में बसा के खो गयी ।।

एक पल को आँखों के सामने ऐसा नूर दिखा और जेसे ही सामने देखा में जमुना जी के पाट घाट पे बेठी खुद को देख रही हु।

जमुना जी के मीश्री से मीठे दूध से उजव्वल जल में मेंने जिलना किया पिया मन भाये ऐसे सिंगार को सज के मेरे कदम आगे बढे ।

सातो घाटो की सोभा दिल में बसाये अमृत वन के बिच के रास्ते से में आगे चली ।

कुछ ही पल में मेने चांदनी चौक में प्रवेश किया ।

मेने चांदनी चौक को में निहार रही थी की वही जोरो से हवा का जोका आया ।

वह जोका जेसे खुद पिया बन के आये और मुझे चारो और से घेर लिया ।

तो साथ ही लाल और हरे वृक्ष की डालिया ऐसे जोरो से लहराई की उनपे सजे फूल कोमल पते मेरे स्वागत में मानो मुझपे बरस गए ।

में इन सब सुखो को दिल में लिए आगे चली ।

सामने सो सीडियो को पार करके में धाम दरवाजे के सामने खड़ी हो गयी।

धाम दरवाजा भी स्वागत में एक पल की विलम्ब ना करते हुवे खुल गया ।
और में रंगमहोल के रंगीन सहन्सा बादसाह को मिलने आगे बढ़ी ।

4 चोरस हवेली को पार करके में 5 गोल हवेली के सामने आके खडी हूँ ।

5 गोल हवेली जो मूल मिलावा है ।

जो हमारा मूल है ।
जहा हमारा मिलावा घेर के लगा है ।

64 थम्बो की पहली हार को मेने पार किया तो एक गली आई।
एक गली को मेने बड़े प्यार से पार किया और 60 मंदिरो को हार आई मंदिरो की पूर्व दिसा के दरवाजे से में मेने अंदर प्रवेश किया ।

फिर एक गली को छोड़ के मेने 2 64 थम्बो की हार में प्रवेश किया।

वहा से पार आई तो एक और गली को पार करके आखीर मेरी मंजिल के नजदीक पहोच ने आई मे ।

3 सी 64 थम्बो की हार में आ खड़ी हुवी ।
कंचन रंग के काढेडे से घिरा गोल चबूतरा लाल गिलम लाल तकिओसे सोभायमान नूर बिखेरता मंद मंद मुस्कुरा रहा है ।

लाल गलीचा मानो खुद मेरे पेरो को आगे बढ़ा रहा है ।

दिल की धड़कन तेजी से धड़क रही है ।

आखिर मिलन का वो हसीन समा आ गया है ।
जब में अपने दिल को मेरे दिल की लालीमा को मेरे आँखों के सामने देख ने वाली हूँ ।

जेसे ही मेरी नजर सामने पड़ी ।

उफ़ ।।
वाह ......

क्या नूरी नजारा है ।
ना देखा ना सोचा
ऐसा नजारा दिल में तरंगे उठा रहा है ।
लहरे उठा रहा है ।

मेरे नेनो के सामने कंचन रंग का सिंहासन अपनी नूरी आभा बिछाया बड़ी सान से खड़ा है ।

खुद पे इतरा रहा है सिंहासन
आखिर इतराये भी क्यों ना
जिस पे खुद पीया की राज रसिक बलमा की  बैठक है ।
जिसे पल पल पिया के अंगो के कोमल स्पर्स मिल रहा है ।

में एक नजर से बड़े मान से सिंहासन पे गर्व करते हुवे उसे निहार रही हूँ ।

कंचन रंग का सिंहासन उस पे अनेको नंग जेड हुवे है ।
कंचन रंग का तो मानो सिर्फ कहने के लिए है ।
असल में तो अनेको नंगो से जडा हुवा है ।
उस में से निकल रही रोसनी जो ऊपर चंद्रवा तक जा राही थी मुझे देख के रौशनी भी खुशि से झूम उठी और मुजपे आके घेर लिया मुझे ।

इस की अदभुत बेमिसाल खूबी को में देखे जा रही हू ।

सिंहासन के 6 पाये सुन्दर सोभा से सजे है ।
6 पायो पे 6 डाण्डे पहलदार है ।
जहा मोती निलवि पुखराज हेम हीरा पन्ना गोमादिक विध विध के नंग नजर आ रहे है ।

डाडो पर 6 कलश और 2 कलश दो छत्री ओ के ऊपर इस तरह से 8 कलश की सोभा अनुपम है ।
सिंहासन पर पस्मि बिछौना ज्यादा इतरा रहा है ।
तो उस से भी ज्यादा एक गादि दो चाकले उस से भी ज्यादा इतरा रहे है ।

कह रहे है धनि की बैठक हम पर है ।

और 5 रेसमी तकिये तो हस रहे है ।
कहे रहे धनि के कोमल हाथ हम पे जब होते है ।
तो प्यार की गुद गुदी हमारे दिल से चहरे तक हँसी मुस्कुराहट ही भर देती है ।

तो सिंहासन के सामने सजी दो चौकिया तो झूम रही है
गया रही है ।
और कह रही है की पीया के चरण जो जीवन है हम सब के वो मुज पे होते है ।

मेरा दिल इन सब की इन हँसी खुसी को देख के और मचल रहा है ।

अब मेरी नज़रो के सामने मेरे प्राणों के प्रीतम
दूल्हा के दीदार को तड़प रहे है ।
जेसे ही सिंहासन को देख के मेने पलक पलकायि ।
तो सामने मेरे धाम दूल्हा श्यामा जी के साथ बिराज मान मेरे सामने देखे ।

इतना नूर बढ़ गया मेरे मूल का की मनो सब कुछ एक बाराती की तरह आये है ।
दूल्हा दुल्हन के मिलन पर ।




सिहांसन पे मेरे दूल्हा और मेरी सुभान जिस का  अंग हु में ऐसी रानी ओ की रानी मेरी श्यामा महारानी सोहागणी का सिंगार सज के अनोखी अदा बिराजमान है ।

में ने मेरे कदम बढ़ाये और धीरे से दुल्हन की तरह शरमाती इखलाती बलखाती हुवी आगे बढ़ी और पिया के चरणों में प्रणाम करने को जुकी ।

मेरे दूल्हा अपना बाया चरण कमल नूर की चौकी पर और दाया चरण कमल बाये चरण कमल की जांघ के मूल में रख कर मेरे इंतज़ार में बैठे है ।

मेने मेरे कोमल हाथो को आगे बढ़ाया और पीया के बाये चरण को स्पर्श किया ।
जितनी में बेकरार में हु उतने वो भी तो है ।
जो आग इश्क़ की इधर है
उतनी उधर भी तो है ।

बस प्यार की वही हसिनता को लिए पिया ने अपना दुसरा चरण कमल भी मेरे हाथो में रख दिया ।

आखिर वो पल आया है जिसका इतंजार एक नयी दुल्हन को होता है ।

में पीया के दोनो चरण कमल को प्रणाम करती हु और बार बार चूम रही हु ।

मेरे जिव के जीवन
इन चरनो में ही निसबत है मेरी ।

में चरनो को निहार रही हु ।

कितने खूबसूरत लाल गुलाब के जेसे चरण कमल है ।
चरनो की तली को में अपनी कोमल हथेलियो से सहला रही हूँ ।
अरे ....
इतनी कोमलता ...
इतना नूर ...

कोमलता की परिभासा है मानो यह कदम ।

जिसकी कोई मिसाल नहीं दे सकती हूँ ।

चरणों की एड़िया , लांक गहराई और रेखाये जेसे जेसे में निहार रही हु और सुंदर होती जा रही है ।

गहराई ऐसी हे चरण की जो मुझे खुद में डुबोए जा रही है

में पिया से चरण पकड़ कह रही हूँ ।
पिया बस अब इस गहराई से मुझे एक क्षण भी अलग नहीं होना ।
बस यही अब तो रहना है ।

में मेरे हाथो से अब उंगलिओ को स्पर्स कर रही हूँ ।
पतली पतली अंगुलिया और उस के नाख़ून तो मनो दर्पण है मेरा ।
जिस में में खूद को निहार रही हूँ ।
नजर आगे बढ़ ने का नाम ही नही ले रही है ।
उनके लाड रूपी मेहर से मेरी नजरो ने आगे बढ़ना सुरु किया ।
तो में ने चरणों के पंजे ,घुटी , टांकन , और कांडा की लालीमा को दिल में भर रही हूँ ।
पैरो का सिणगार देख ने को अब दिल कह रहा है ।

मेने पीया के चरण कमल में ।
झाझरि , घुघरी , काम्बि और कङले की सोभा निहार रही हूँ ।
जेसे ही मेने आभुषनो को छुवा तो मानो लगता ही नहीं था की यह आभूषण पीया ने पहने है ।

उन का ही दिल का अंग यह आभूषण है ऐसा लग रहा है ।














पैरो में हरे रंग की इजार आज मैंने देखि है ।
इतनी मन मोहक है रेसम से भी मूलायम ।
उस में बनी नक्सकारी हाय हाय दिल को लुभा रही है ।

जसे जेसे नेनो ने आगे नजर बढ़ाई मेने पीया के सीस कमल की और नज़रे की ।
उनके कदमो में बैठी थी अब सीस कमल को देखन को में खड़ी हो गयी उनके सामने
मेरे महबूब के बदन पे दूध से भी उज्जवल सफ़ेद जामा मुझे कह रहा है ।
मेरी रूह देखे मुझे मेरे सुख को देख में पिया के बदन को छूता ही रहता हूँ।
और पीया की छाती हाथ मुझे प्यार करते ही रहते है ।

जामे की किनार पर चुन्नट नाच रही है ।
जामे की दोनों बाहो में बारीक चुन्नटे लगता हे की सागर की लहरो की भी लहर हे तरंग है ।
जामे की चोली अंग से अंग लगाये खुस हो रही है ।
छाती पर जामे के बंध फुंदन रंगो में भी रंगीनिया भर रहे है ।
इन सुख को सोभा को देख के पिया के छाती से लगने को दिल कर रहा है ।

कोन दुल्हन ऐसी हो जो इस छाती से एक क्षण दूर होना चाहें ।
बस इस छाती के अंदर इस का मूल जो हे धनि का दिल मुझे इस छाती से लग के उस दिल की धड़कन में मेरा नाम सुनना है ।

पीया के कंधे पर आसमानी रंग की पिछौरि आज लहरा रही है ।
पिछोरी इतनी बारीक है उस में से पीया के गले के आभुषन पिछोरी में से ज्यादा सुन्दर मनो लग रहे है ।
निचे लटकते फुम्मक फूलो की तरह खिले खिले लग रहे है।


कमर में अन्त रंग का पटुका पिया की कमर पे मन भावन है ।
पिया के सिर पे क्षण क्षन में रंग बदल रही सारंगी आकर की पाग सब से सुंदर है ।
एक एक पेच पाग का खूद पीया ने अपने हाथो से बंधा है ।

पाग पे दुगदूगी , कलंगी , पर , मोतियो की लड़ी अदभुत है












पिया के गुघराले काले केश कंधे पर कई लटे गालो को छु रही है ।
तो कानो पे लहराते हुवे तो अपरम्पार सोभा बिखेर रहे है ।
बालो में से सुंगन्ध मुग्ध करने वाली आ रही है जो और पास पिया के खीच रही है ।

उज्जवल ललाट पे घोड़े की नाल आकर का कंचन रंग का तिलक सुंदरता का प्रतिक है ।
जिस में छोटी छोटी बिंदिया जगमगा रही है ।
बिच में लाल बिंदी की सोभा 🔴 मुझे पूर्ण सुहागन करदे पिया यह कह रहा है ।

यही लाल रंग पिया अपने हाथो सिंदूर बना के जब पूर्ण करेगे तो वो सुख का क्या कहना ।

जिन हाथो से सिंदूर पूर्ण करेगे मांग में में उन हाथो को निहार रही हूँ।
बाजु में बाजूबंध कंचन रंग का सुहाना है ।

हाथो में पहोची

और मुंदरी अंगुलियो मे ।

पाँच , पाने , हिरे , पुखराज , माणिक , निलवि , मोती , लसनिया क्या कहना ।।















गले में 5 हार की लड़ी नंगो की अनेक रंगो को बिखेर रही है ।
पिया की छाती को और सुंदरता इन से लग रही है ।

यही नहीं समज आ रहा की 5 हार छाती से चिपक के सुंदर है ।

या

5 हारो से छाती सुंदर लग रही है ।
दोनों अरस परस सुंदरता आशिक मासूक का खेल खेल रहे है

दोनों एक दूजे को रिजा रहे है ।














कानो में कुंडल लाल रंग का दो दाना मोती दो दाने माणिक के पुकार रहे है ।


अब में अपने दाहिने हाथ की और राज जी के बाये हाथ की और बिराजमान श्यामा महारानी जी की और देख रही हु।

श्यामा जी के दोनों चरण कमल  नूर की चौकी पर  सजे जिस से उनकी बेठ ने की अदा से ही रानी ओ की रानी महरानी  बैठी है लग रहा है ।
मेरे हाथो को नूर की चौकी पे रखती हु।
श्यामाजी खुद अपने चरण मेरे हाथो की हथेलियो में रख देते है ।

पलक को बंध किये बिना एकी नजर में में उन्हें निहार रही हूँ ।

चरण कमल की सलूकी उज्जवलता सब से अनोखी है ।
चरण की तली एड़िया लाक लिके प्यार से सहला रही हु।

कोलता फूलो से भी करोडो गुना है ।
गोरापन लिए पंजे , टकना , घूंटी , और कांडा को देख मुझे सुख ही सुख मिल रहा है ।

पिया के चरण जेसे ही।
पैरो में काम्बि , काडला , झंझरी , घुँघरि आई है ।
बारीक़ से बारीक नक्सकारी से सुसजित्त आभुसन कोमलता लिए चमक रहे है ।
चरण का अंगूठा और अंगुलिया पटली कोमल उज्जवल है ।

अंगूठे में अनवट की सोभा जिन के बिच आरसी दर्पंन चमक रहा है ।

में दोनों चरणों की सोभा दिल में बसाए जा रही हू बारी बारी करके ।

आगे नजर चल रही है ।
गुलाबी रंग की साडी जिस में अनगिनत नंग रंग की रोशनी बिखेर रहे है ।
नक्सकारी तो ना देखि हो कही ऐसी बारीक बारीक़ है ।
सोने के तार से बनी हुवी साडी है ।
बारीक़ साडी में से गोरा सुंदरता से भरपूर अंग श्यामाजी का देख के मेंरे अंग में रंग भर रहा है मानो ।
बस नजरे हट ने का नाम नही ले रही है ।

कमर पे कमरबंध जिलमिला रहा है ।
 गोर बदन पे अंग के रंग जैसी ही सोनेरी कंचुकी तो अदभुत है ।
कंचुकी के गले में नंगो की लड़ी हार की तरह लग रही है ।
कंचुकी की 4 तनी डोरी पीठ पे बंधी है ।
जिस में सुहाने फुम्मक लटक रहे है ।
जो साडी में से ही दिख रहे है ।
कंचुकी की बाजुओ की मोहरी में चुन्नट धनि के दिल के तरंगो की तरह प्रतीत हो रहा है ।
 हरे रंग का चरनियां उस में फूल बेल नंग रंग के नक्सकारी उफ़... दिल को खीच रहा है ।











पेरो में अनवट बिछुआ आरसी
मन मोहक है ।

हाथो में पहोची नवघरि नव पतली में ।
नवचुडि
कंकनी
बाजुबंध तो दिल को पागल बना रहा है ।










गोरी कलाइओ में नौ रंग की नावचुडि कंगन कंकनी जो पंजे में पहोची की सोभा निराली है ।
बाजु बंध के लटक ते फुम्मक दिल चुरा ले गए ।
जब हाथो को चलती हे महारानी तो संगीत बजता है उनके हाथो के आभुसन से ।
जो राज राज कह रहा है ।
जो सुरीले सुर से मंत्र मुग्ध कर रहा है ।


कमर में कमरबंध अदभुत है।

श्यामाजी के गले में 7 हार का क्या कहना ।।
कंठसरि तो दिल को लुभावनी है ।
कितनी निराली है
कानो में झाल 7 नंग से सजी है ।
नाक में बेसर और नथनी मनभावन है ।

श्यामाजी के सुनहरे काले लंबे केश की बनी चोटी उनकी गहरी पीठ पे ऐसे लहराती हुवी लटक रही हे की खूबसूरती की मिसाल है ।
जिस में घुघरिया और अनेको रंगो से सजे फुम्मक लटक रहे है ।
बालो में बेनी लगी है जिस से साडी का पल्लू माथे पे सजा है ।
माथे पर पानडी सीर पर राखड़ी की सोभा अनोखी है ।
मांग के लाल रंग के निचे नंगो से जडा टिका सोहमना लग रहा है ।
मोतियो की तिन तिन लरे बालो की सुंदरता को बढ़ा रही है ।












इस तरह से मेने राज जी और श्यामाजी के वस्त्र आभूषण अंग अंग को देखा ।

नीचे लाल पस्मि गिलम ऊपर छत पे हरा चंद्रावा और बिच में सारी सोभा के मूल स्त्रोत ऐसे राज श्यामाजी के इन सब के अंगो से नंगो से जो रंग की फुवार बन के रोसनी नूर पुरे मूल मिलावे में ऐसे सजा है की क्या कहे ।
हर तरह पीया के इश्क़ का रंग छाया है ।
दिल अब उनसे गले मिलने को बेकरार हो रहा है
समर्पण की वो घडी नजदीक आई है ।
जिस के लिए आज जमी और आसमान रंग की खुसी की फुवार बरसा रहा है









अन्त रंग से मूल मिलावा सज गया है ।
बस अब पीया के नेनो में डूबने में जा रही हूँ ।
जहा में में नहीं बस तुही तू हो जाएगा ।