खुद को महसूस कर चाँदनी चौक
विशाल चौक जो मेरे निज घर रंगमहल के सम्मुख सुशोभित हैं
दाएँ बाएँ लाल हरे वृक्ष
और चाँदनी चौक के मध्य आईं रत्नों जडित रोंस
मेरी रूह ,इन रोंस पर चल जो तुझे धाम की सीढ़ियों तक ले जा रही हैं
अति विशालता लिए मेरे धाम की सीढ़ियाँ
100 सीढ़ियाँ 20 चाँदों सहित
मेरी रूह सीढ़ियाँ चढ़ रहीं हैं
मन में उल्लास ,उमंग ,अंग अंग में मस्ती
पिऊ पिऊ
तूही तूही
कब सीढ़ियाँ चढ़ ऊपर धाम द्वार के सम्मुख चौक में आ गयीं आभास ही नहीं हुआ
चौक में आते ही रूह आश्चर्य चकित रह जाती हैं कि कब मेरे पिया मुझे यहाँ ले आए
चारों और हीरा के थम्भ ---दो भोंम ऊँचे
श्वेत महक ,नूर ही नूर और दाएँ बाएँ दो मंदिर के चौड़े चार मंदिर के लंबे एक सीढ़ी ऊँचे चबूतरे
और सामने कंचन रंग का मेरे धाम का द्वार ❤
दो भोम के ऊँचे और चौड़े द्वार की शोभा ---पहली भोम में , तो मध्य में एक मंदिर का दरवाजा सुशोभित हैं और दरवाजे के दाएँ बाएँ लाल रंग की नंगों से जडित अत्यन्त नूरी चेतन दिवाल की मनोहारी शोभा हैं |
नूरी दर्पण का दरवाजा ,हरित रंग जड़ाव की बेनी और लाल रंग की चौखट
नूरी दर्पण का झिलमिलाता द्वार ..
उनमें मेरी रूह तेरा नूरी प्रतिबिंब --अपना नूर महसूस तो कर
कुंडो की सांकॅल की शोभा देख मेरी रूह
और एक अद्भुत शोभा
नूरी दर्पण के द्वार में झलकते सामने आएँ अमृत वन की झलकार
वनो का प्रतिबिंब --वनो में आएँ नहेरें चहेबच्चे
क्रीड़ा करते पशु पक्षी
पिऊ पिऊ की रट लगाए
और अब देखे मेरी रूह
दर्पण रंग के द्वार के ऊपर की शोभा
एक बड़ी महेराब में नौ महेराब
ठीक मध्य में झरोखा
दो दरवाजे और छः ज़ालियाँ
ऊपर के द्वारों के आगे दो मंदिर का चौक हैं एक भोम नीचे तो इन द्वारों के आगे कठेड़ा आया हैं |
इन द्वार में खड़ी हो मेरी रूह और देख शोभा
सामने दो मंदिर का चौक
उतरती सीढ़ियाँ
चाँदनी चौक
आओं कुछ लीलाओं में आय --महसूस कर मेरी रूह
हम कुछ सखियाँ दो मंदिर के चौक में आएँ --शोभा निरख ही रहे हैं कि ऊपर आएँ झरोखा और द्वारों में सखियाँ दौड़ दौड़ कर आ गई और फूलों की बरखा से हमारा अभिनंदन🌹🌹🌹🌹🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌹🌹🌹🌹
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