💖मेरी रूह श्री रंगमहल के मुख्य द्वार को पार करके भीतर आईं | खुद को एक नूर से जगमगाती गली में देखा और नज़रे ऊपर उठी तो ठीक सामने 28 थम्भ का चौक मानो मेरी रूह को आमंत्रित कर रहा हैं आओ तो मेरी प्यारी
मैं 28 थम्भ का चौक में जाती हूँ और देखती हूँ अपने घर के पहले चौक की अलौकिक शोभा ---
यह चौक 28 थम्भो से सुशोभित हैं | नूरी थम्भ ...रंगों नंगों से मुस्कराते ये थम्भ धाम की रूहो कों संदेश भी दे रहे हैं कि देखो तो प्यारी रूहों मेरे पूर्व पश्चिम में दस -दस थम्भ शोभा ले रहे हैं जो प्रतीक हैं दस कर्मेन्द्रियों और दस ज्ञानेन्द्रियों के --
और उत्त्तर और दक्षिण दिशा में चार -चार थम्भो की शोभा आईं हैं जो प्रतीक हैं मन ,चित्त ,बुद्धि और अहंकार --तो रूह तुझे अपने इन सभी वृतियों को एक चित्त होकर श्री राज जी के चरणों में लगाना हैं तो तू पल मैं ही उनकी खिल्वत में प्रवेश पा लेगी --
मेरी रूह को श्री राज जी दिखा रहे हैं चौक की अद्भुत और मनोहारी शोभा
चौक में बिछी पशमी गिलम अत्यंत हो कोमलता लिए हैं और छत पर सुंदर चंद्रवा --
हर शह चेतन मेरे निज घर की
देख तो मेरी रूह ,तेरे आते ही तेरा अभिनंदन -
थम्भो में आएँ चित्रामन के पशु पक्षी नृत्य कर उठे
नक्काशी में आएँ वृक्ष भी सजदे में झुक गये ,फूलों ने अपनी सुगंधी और भी बढ़ा दी और मेरे कदमों की आहट के साथ ही खूब खुशलियाँ उमड़ पड़ी अगुवानी के लिए 💃💃💃💃
मेरी 28 थम्भ के चौक की अलौकिक शोभा देख कर अब आगे बढ़ती हैं और चौक को पार करती हैं और खुद को पाती हैं एक नूर से लबरेज गली
और सामने हैं रसोई की हवेली
रूह देखती हैं अपने धाम की अद्भुत शोभा
रसोई की हवेली की पूर्व दिवाल की शोभा कितनी प्यारी आईं हैं --मध्य में ग्यारह मंदिर की दहेलान --और दहेलान के दोनो और मंदिर
ग्यारह मंदिर की दहलान में रूह प्रवेश करती हैं --एक मंदिर की चौड़ी ग्यारह मंदिर की लंबी यह दहेलान मेरे धाम की सुंदर बैठक हैं | देखिए तो दहेलान में नीचे बिछे नरम गद्दे और उन पर बनी शाही बैठक --गोल तकिये --तो चल मेरी रूह ,आज इन दहेलान में विश्राम करे , श्री राज जी के संग ,श्री श्यामा जी महारानी के संग इन नूरी बैठकों में बैठ और उनसे मीठी मीठी बाते कर | युगल स्वरूप के नूरी सिंगार को निहार | उनका अलौकिक ,नूरानी स्वरूप ,अमरद शोभा लिए हैं | उनके नयनों की मस्ती ,शोखियाँ --उनके नूरी केशों से आती सुगंधी ---💜💚❤💚💜🙏
🍋रसोई की हवेली की पूर्व दिशा में आईं दहेलान की शोभा देख मेरी रूह आगे बढ़ती हैं और दहेलान को पार कर गली में आती हैं -
नूर से महकती गली घेर कर आईं हैं फिर एक थम्भो की हार पर की और फिर से गली को पर कर मेरी रूह पहुँचती हैं मध्य में आएँ चबूतरा की किनार पर -
तीन सीढ़ी चढ़कर रूह चबूतरा पर आईं --नीचे पशमी गीलम और ऊपर मोतियों की झालर से सज़ा चंद्रवा --घेर कर आएँ थम्भो की शोभा --और चारों दिशा से उतरती सीढ़ियाँ --
चारों और नज़र की तो देखी मेरी रसोई की हवेली की अद्भुत शोभा --
पूर्व दिशा में दहेलान
उत्तर -दक्षिण दिशा में मध्य में आएँ बड़े द्वार से पहले तो मंदिरों की शोभा आईं हैं पर द्वार के पश्चिम की और दहेलानो की शोभा --
यहाँ मंदिरों की पाखे की दिवाल और हवेली की और आईं भीतरी दीवाल नहीं आईं हैं मात्र थम्भो की शोभा हैं और मंदिरों की बाहिरी दीवार की शोभा यथावत आईं हैं
उत्तर दिशा में एक और शोभा मन को भाती हैं कोने से दूसरा मंदिर श्याम मंदिर हैं और उससे लगता सीढ़ियो का मंदिर फिर श्वेत मंदिर
पश्चिम में मंदिरों की शोभा खुशहाल कर रही हैं |🍌🍉🍇🍓🍈
मैं 28 थम्भ का चौक में जाती हूँ और देखती हूँ अपने घर के पहले चौक की अलौकिक शोभा ---
यह चौक 28 थम्भो से सुशोभित हैं | नूरी थम्भ ...रंगों नंगों से मुस्कराते ये थम्भ धाम की रूहो कों संदेश भी दे रहे हैं कि देखो तो प्यारी रूहों मेरे पूर्व पश्चिम में दस -दस थम्भ शोभा ले रहे हैं जो प्रतीक हैं दस कर्मेन्द्रियों और दस ज्ञानेन्द्रियों के --
और उत्त्तर और दक्षिण दिशा में चार -चार थम्भो की शोभा आईं हैं जो प्रतीक हैं मन ,चित्त ,बुद्धि और अहंकार --तो रूह तुझे अपने इन सभी वृतियों को एक चित्त होकर श्री राज जी के चरणों में लगाना हैं तो तू पल मैं ही उनकी खिल्वत में प्रवेश पा लेगी --
मेरी रूह को श्री राज जी दिखा रहे हैं चौक की अद्भुत और मनोहारी शोभा
चौक में बिछी पशमी गिलम अत्यंत हो कोमलता लिए हैं और छत पर सुंदर चंद्रवा --
हर शह चेतन मेरे निज घर की
देख तो मेरी रूह ,तेरे आते ही तेरा अभिनंदन -
थम्भो में आएँ चित्रामन के पशु पक्षी नृत्य कर उठे
नक्काशी में आएँ वृक्ष भी सजदे में झुक गये ,फूलों ने अपनी सुगंधी और भी बढ़ा दी और मेरे कदमों की आहट के साथ ही खूब खुशलियाँ उमड़ पड़ी अगुवानी के लिए 💃💃💃💃
मेरी 28 थम्भ के चौक की अलौकिक शोभा देख कर अब आगे बढ़ती हैं और चौक को पार करती हैं और खुद को पाती हैं एक नूर से लबरेज गली
और सामने हैं रसोई की हवेली
रूह देखती हैं अपने धाम की अद्भुत शोभा
रसोई की हवेली की पूर्व दिवाल की शोभा कितनी प्यारी आईं हैं --मध्य में ग्यारह मंदिर की दहेलान --और दहेलान के दोनो और मंदिर
ग्यारह मंदिर की दहलान में रूह प्रवेश करती हैं --एक मंदिर की चौड़ी ग्यारह मंदिर की लंबी यह दहेलान मेरे धाम की सुंदर बैठक हैं | देखिए तो दहेलान में नीचे बिछे नरम गद्दे और उन पर बनी शाही बैठक --गोल तकिये --तो चल मेरी रूह ,आज इन दहेलान में विश्राम करे , श्री राज जी के संग ,श्री श्यामा जी महारानी के संग इन नूरी बैठकों में बैठ और उनसे मीठी मीठी बाते कर | युगल स्वरूप के नूरी सिंगार को निहार | उनका अलौकिक ,नूरानी स्वरूप ,अमरद शोभा लिए हैं | उनके नयनों की मस्ती ,शोखियाँ --उनके नूरी केशों से आती सुगंधी ---💜💚❤💚💜🙏
🍋रसोई की हवेली की पूर्व दिशा में आईं दहेलान की शोभा देख मेरी रूह आगे बढ़ती हैं और दहेलान को पार कर गली में आती हैं -
नूर से महकती गली घेर कर आईं हैं फिर एक थम्भो की हार पर की और फिर से गली को पर कर मेरी रूह पहुँचती हैं मध्य में आएँ चबूतरा की किनार पर -
तीन सीढ़ी चढ़कर रूह चबूतरा पर आईं --नीचे पशमी गीलम और ऊपर मोतियों की झालर से सज़ा चंद्रवा --घेर कर आएँ थम्भो की शोभा --और चारों दिशा से उतरती सीढ़ियाँ --
चारों और नज़र की तो देखी मेरी रसोई की हवेली की अद्भुत शोभा --
पूर्व दिशा में दहेलान
उत्तर -दक्षिण दिशा में मध्य में आएँ बड़े द्वार से पहले तो मंदिरों की शोभा आईं हैं पर द्वार के पश्चिम की और दहेलानो की शोभा --
यहाँ मंदिरों की पाखे की दिवाल और हवेली की और आईं भीतरी दीवाल नहीं आईं हैं मात्र थम्भो की शोभा हैं और मंदिरों की बाहिरी दीवार की शोभा यथावत आईं हैं
उत्तर दिशा में एक और शोभा मन को भाती हैं कोने से दूसरा मंदिर श्याम मंदिर हैं और उससे लगता सीढ़ियो का मंदिर फिर श्वेत मंदिर
पश्चिम में मंदिरों की शोभा खुशहाल कर रही हैं |🍌🍉🍇🍓🍈
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