Sunday, 20 December 2015

करो मूल मिलावे का ध्यान..रूह के भाव

करो मूल मिलावे का ध्यान..
मेरे धनी मेरे दूल्हा आपको देखने कि तडप दिल में जगी और तुरंत अपने आप को गौपद वच्छ की तरह मैंने मूलमिलावे के पूवीॅ द्रार के भीतरी तरफ पाया..पर धनी मेरे दूल्हा मेरे प्रीतम यह नजारा मिलावे का....इश्क और साहेबी की बूंदो के रस में मैं वैसे ही भीगी हूई थी पर यह नजारा तो धनी, आप इश्क और साहेबी के सागर में झीलते हूए भीग चूके पूरे मिलावे को आपके दिल में डूबोये हूए है..जिसमें मे अपने आपको भी भीगी हुई पा रही हूँ..
क्या कहूँ?  किसका बरनन करूं? कैसे करूँ? जहा नजर करूँ वहा सिफॅ तुम ही तुम हो...कहाँ है थंभ कहाँ है सखियाँ? कोई नजर नहीं आ रहा धनी..हर जगह सिफॅ तुमही तुम हो ..और कोई नहीं,और कोई नहीं...

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