Tuesday, 15 December 2015

ए मूल मिलावा अपना, नजर दीजे इत । पलक न पीछे फेरिए, ज्यों इसक अंग उपजत ।।

☺ए मूल मिलावा अपना, नजर दीजे इत ।
पलक न पीछे फेरिए, ज्यों इसक अंग उपजत ।। ४० ।।7सागर

तो साथ जी ,हद बेहद से परे परमधाम के मध्य भोम भर ऊँचे चबूतरे पर रंगमहल सुशोभित हैं उनके सम्मुख चाँदनी चौक में आइए ..सौ सीढ़ी बीस चाँदे चढ़ धाम द्वार के सामने आइए ..द्वार खुल गये ..वतन की सुगंधी बन पिया का लाड़ उनका इश्क आपको भीतर खेंच रहा हैं

धाम द्वार पार कर बस अपनी नज़रे उठाइए

28 थम्भो के चौक के महेराबी द्वारों ,और चारों चौरस हवेली के पट (मुख्य द्वार )खुल गये तो ....

तो साथ जी ,देखिए तो यही से प्रियतम की छबि,युगल पिया श्री राज श्यामा जी नज़रों में आ गये -उनका नूर आपकी नज़रों में समा गया तो कोई गली थम्भ नहीं बस

 दौड़ कर उनके चरणों में पहुँच जाएँ और ---

जो मूल स्वरूप हैं अपने, जाको कहिए पर आतम ।
सो पर आत म लेयके, विलसिए संग खसम ।। ४१ ।।

महामत कहे ऐ मोमिनों, करूं मूल स्वरूप बरनन ।
मेहेर करी मासूकने, लीजो रूह के अन्तसकरन ।। ४२ ।।🌷🌷🌷

1 comment:

  1. Please make mul milawa available.... Which we say in Mumbai mandir at every saturday

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