Wednesday, 23 December 2015

श्रीराज जी की मेहर ,उनके असीम गुण --रूह के भाव

🙏मैं गुम्मट जी मे नमन कर रही हूँ ,अपने धाम दूल्हा युगल स्वरूप श्रीराज-श्यामा जी के चरणों में ---अखंड सुखों को देने वाले मेरे प्रियतम ,मेरे प्राणाधार

उनके असीम मेहर से मैने खुद को सर्व रस सागर में विहार करते पाया | मेहेरों के सागर मेरे पिया जी मुझे मेहर सागर में ले आएँ | हर और बिखरी रंगिनियाँ ,प्रियतम का लाड़ ,उनका इश्क और प्रीति जिसकी नूरी खुश्बू से मैं भीग रही हूँ --जहाँ तक नज़र करती हूँ वहाँ तक मुझे प्रीतम से बेशुमार अखंड सुख दिखाई दे रहे हैं --आकाश को लगती महा हवेलियाँ ,महा वन और सर्व रस सागर  की रंगीन लहरे मानो सभी मुझे पिया श्री राज जी के अखंड सुखो में डुबो रही हैं |

प्रियतम श्री राज जी मुझे अपनी और बुला रहे हैं -मूल मिलावा में जहाँ हमारी बैठक सजी हैं --जाने की और कदम बढ़ाए ही थे क़ि प्रतीत हुआ की मैं उड़ान भर रही हूँ ,खुद को एक नूरी पक्षी की सवारी करते हुए रोमांचित सी मैं अपने घर के सुखों में झील रही हूँ ---घेर कर आए सागर --चारों और से उठती उनकी जोत मुझे अखंड सुखों की अनुभूति दे रही हैं --प्रीतम श्री राज जी के नूर ,उनकी शोभा ,उनकी वाहिदत ,सिंगार ,इश्क ,ईलम और निसबत  के सुख उनकी मेहर से महसूस करती हुई सागर पार कर छोटी राँग पार कर रही हूँ ,वन की नहरों से गुज़री तो हर और बिखरी हरियाली ,बेशुमार रंग और उनमें क्रीड़ा करते पशु पक्षी

और अब मैं माणिक पहाड़ की हद में हूँ ...इश्क की पराकाष्ठा का प्रतीक मेरा माणिक पहाड़ --पूरे शान के साथ सुशोभित हैं --हर और लालिमा बिखेरता ,इश्क फैलाता और हिंडोलों का झूमना

बारह हज़ार ऊँचे हिंडोले में अपने पिया जी की नज़रो में   नज़र मिला झूलना --
और आगे जवेरो की नहेरें --हर और उनका इश्क ,लाड़ ,प्रीति जहाँ भी नज़र गयीं
मोहोल हो ,मंदिर हो या वृक्ष

मुझे महसूस करा रहे हैं मेरे पिया की हर शाह उनके ही दिल का व्यक्त स्वरूप हैं |हे मेरी रूह तुझे सुख देने की खातिर ही मेने करोड़ो रूप धरे हैं

उनके इश्क रस   भीगी मैं इनकी लाड़ली अंगना और आगे बढ़ रही हूँ -और आगे
क्या अद्भुत दृश्य

आमने सामने झलकार करते अक्षर धाम और मेरे रंगमहल के द्वार और बीच में कलरव करती मेरी जमुना जी

नूर ही नूर ,जमुना जी का तेज यूँ कि मानो जमुना जी आसमान तक प्रवाहित हो रही हों

जमुना जी का जल प्रीतम श्री राज जी का इश्क ही तो हैं जिसकी कोई सीमा नहीं
जमुना जी पार आएँ दोनों पुल और बीच में पाट घाट

मैं पाट घाट पर झीलना कर उनके इश्क में भीगी रंगमहल के मुख्य द्वार के सामने आईं

द्वार खुल गये और पिया जी खुद आ गये मुझे लिवाने के लिए

मेरा हाथ उनके कोमल हस्त कमलों में

उनका स्नेहिल स्पर्श

उनकी मधुर आवाज़

मदहोश सी मैं

नज़रें खोली तो सामने स्वर्णिम सिंहासन पर मेरे युगल प्रियतम श्रीराज-श्यामा

और नज़रों में बस पिया तू ही तू 
💐💐

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