❤❤❤मेरी रूह रसोई के चौक की शोभा दिल में अब आगे बढ़ती हैं | पूर्व दिशा में आई ग्यारह मंदिर की दहेलान ,श्वेत ,श्याम मंदिर ,और उत्तर दक्षिण में झिलमिलाती दहेलानो की शोभा निरखते हुए रूह मेरी हवेली के पश्चिम दिशा में द्वार से रसोई की हवेली से बाहिर निकलती हैं
वाह ! क्या अद्भुत दृश्य है मेरे धाम धाम धनी
एक नज़र में देखा तो लगा की दो थम्भो की जगमगाती ,अपनी और खेंचती हारें और तीन नूरमयी -
फिर से फेर कर देखा तो हर और पिया आप ही आप नज़र आएँ
अभी में पहली रसोई की हवेली की पश्चिम दिशा में ही हूँ और देखती हूँ द्वार के दोनों और चबूतरे --
तीन सीढ़ी ऊँचे चबूतरे --अत्यंत ही नूरी बैठक
और ठीक सामने दूसरी हवेली की पूर्व दीवार में आएँ मुख्य द्वार की शोभा और दाएँ बाएँ चबूतरे --तीन दिशा से उतरती सीढ़ियाँ --घेर कर स्वर्णिम कठेड़ा -
इन दोनो शोभा के बीच मे जाती मनोहारी गली और
आमने सामने झलकार करते द्वार और चबूतरे पर आएँ 24 महेराबों की अलौकिक शोभा
रूह मेरी देख तो पिया का नूर --हर और से अपने आगोश में समेटता तुझे --हर पल बस पिया तू ही तू रहे मेरी नज़रों ,यही रूह की पुकार 👏👏☺
वाह ! क्या अद्भुत दृश्य है मेरे धाम धाम धनी
एक नज़र में देखा तो लगा की दो थम्भो की जगमगाती ,अपनी और खेंचती हारें और तीन नूरमयी -
फिर से फेर कर देखा तो हर और पिया आप ही आप नज़र आएँ
अभी में पहली रसोई की हवेली की पश्चिम दिशा में ही हूँ और देखती हूँ द्वार के दोनों और चबूतरे --
तीन सीढ़ी ऊँचे चबूतरे --अत्यंत ही नूरी बैठक
और ठीक सामने दूसरी हवेली की पूर्व दीवार में आएँ मुख्य द्वार की शोभा और दाएँ बाएँ चबूतरे --तीन दिशा से उतरती सीढ़ियाँ --घेर कर स्वर्णिम कठेड़ा -
इन दोनो शोभा के बीच मे जाती मनोहारी गली और
आमने सामने झलकार करते द्वार और चबूतरे पर आएँ 24 महेराबों की अलौकिक शोभा
रूह मेरी देख तो पिया का नूर --हर और से अपने आगोश में समेटता तुझे --हर पल बस पिया तू ही तू रहे मेरी नज़रों ,यही रूह की पुकार 👏👏☺
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