Monday 6 June 2016

हवा का सुखपाल से मिलन

इतनी गर्मी में छत पे सोनेका आनंद कुछ अलग ही होता है ।

छत पे सोते सोते जब आकाश की और नजरे बढ़ी मेरी तो रात के अंधेरे में टीम टिमाते हुवे तारो के बिच में चांद की चांदनी मनमोहक लग रही थी इस फर्श पे भी ।।

इतने अनंत तारो के बिच में एक विमान 🛩 तारो की तरह ही टीम टिमाता हुवा चल रहा था ।

एक और ठंडी पवन की फुहार और उसमे ये विमान जिस पे मेरी नजरें अटक सी गयी ।

जेसे जेसे विमान दूर दूर जा रहा था उसके साथ साथ साथ ही मेरी नजर दूर दूर जा रही थी ।

एक पल आया की विमान इतना दूर निकल गया की मेरी नजरो से अब वो ओझल हो गया ।

इतने में मेरी आंखे बंध हुवी पर मेरा दिल उसी विमान के विचार में खोया था ।

में दिलो दिल में ही धनी से बात कर रही थी की धनी फर्श का यह विमान देख के मजा आ रहा है तो मेरे अर्श के सुखपाल विमान की शोभा तो कितनी हसीन मनमोहक होगी ।

यह विमान तो देखते देखते आगे चला गया ।
पर मेरे धाम में तो अभी नजर देखने जाहि रही होगी उससे भी तेज वाउ की गति और मन की गति से भी तेज सुखपाल उड़ते है ।

सुखपाल के यही विचारो में में अर्श को दिल में बसाये उस सुख को याद कर रही हु ।
 सुखपाल को याद करते करते दिल में एक ही चौपाई याद आए जा रही थी ।

" सुखे बेसी सुखपाल में ,
देसी वतन पहोचाए "

🛩🛫🛩🛫🛩🛫🛩

इसी चौपाई को याद करते हुवे दिल सुख और आनंद से भरे जा रहा था ।

और में दिल की इस खुसी को लिए गुम्मट जी के दरवाजे पे आके अपने आप को निहारती हु ।

तब मेने देखा गुम्मट जी में मजलिश का समय था जिस से एक और एक सुंदर साथ चर्चा कर रहे थे तो बाकी साथ चर्चा सुनने बैठे है ।

मे भी गुम्मट जी में बिलकुल धनी के सनमुख होके बैठ गयी नजरो से पीया को निहार रही हु
तो कानो से चर्चा सुनरही थी ।

इतने में चर्चा में सुंदर साथ ने कहा जिस तरह से फर्श पे कोई विदेश जाता है तो कहा जाता है की सात समुन्दर पार जाना है ।

उसी तरह हमें भी अपने घर अर्श में मेहर के सागर की सोभा में डूब सागर को पार करके आगे जाना है ।

बस इसी पल में सागर पे मेरी नजरे कान दिल सब कुछ ठहर गया और मेने खुद को महेर सागर सर्वरस से भरे रसीले सागर में खुद को पाया ।

 सागर की अनंत शोभा को मेरा दिल निहार रहा था ।
 अनंत रंगो से सजा ये महेरो का सागर आकर्षित कर रहा है ।

महेर से भरे इस समुन्दर को पार करके मुझे रँगमहोल की और बढ़ना है ।

महेर के सागर में जहा में सुख ले रही हु ।
तो वो महेरो का सहेंशा खुद मुझसे दूर कैसे रहे सकता था ।
जिसने मुझसे कहा है की सूखे बेसी सुखपाल में मुझे वतन ले जाएगा ।

बस मेरे आने की खबर उसे पहलेसे ही तो थी ।
क्यों की उसी ने तो मुझे बुलाया है अपनी और खीचा है ।

जहां में सागर के अनंत रंगो को निहार रही थी वही रंगो के रंगीले बादसाह खुद मेरे नजरो के सामने आके खड़े हो गए ।

पीया.... के आने पे हर एक रंग में और कई रंग झलकने लगे ।
और रंगोसे भी ज्यादा मेरा तन मन दिल रंगीन हो गया है ।

पीया पास आके जब आँखों से निहारते है मुझे तो मुझे लगा जितना इस पल का इंतजार मुझे था उससे भी ज्यादा पीया इस पल के लिए राह तक रहे थे ।
पीया ने गले लगके कहां आओ मेरी रूह ।
कब से राह तक रहा हु ।
अपने घर में अंदर चलो ।
और पीया के मुख से यह बात निकली उसी पल सुखपाल सामने आके खड़ा हो गया ।
सुखपाल भी मानो प्रणाम कर रहा हो ऐसे झुकने लगा ।

सुखपाल को देखके दिल सुख ही सुख का अनुभव कर रहा है मेरा ।

 सुखपाल की सोभा को में हाथो से छूके देख रही हु ।

तिन भाग में सजा सुखपाल मुझे अपनी और आनेको कह रहा है ।

दो भाग बैठक के आमने सामने के ।
और एक भाग दोनों बैठक से निचा ।
इस निचे भाग पे ही पैर रख के चढ़ के बैठक पर बैठा जाता है ।
आमने सामने की बैठक पे गादी सुहानी लग रही है ।
4 डाण्डे और छत पे 2 छत्री , और 2 गुम्मट सुखपाल को और सुंदर बना रहे है ।
दाए और बाए रस्सी जेसे दो गोफने इतने मनमोहक रूप से लटक रहे है की उनकी सोभा का बर्णन कैसे करू ।

धनी मुझे सुखपाल को इतनी गहराई से देखते हुवे कहते है ।
मेरी प्यारी.... बस इसे देखती ही रहोगी की इसमें बैठ के भी इसका आनंद लेना है ।
और हम हस पड़े ।
पीया ने अपना एक चरण सुखपाल में रखा तो एक हाथ से गोफने को पकड़ा  
और ऊपर चढ़े ।

और अपना हाथ आगे बढ़ाया और कहा चलो सजनी अर्श के अंदर चले।

और मेने भी अपना हाथ पीया के हाथ में रखते हुवे सुखपाल में चढ़ी।

और पिया ने खुद मेरी दोनों बाजु पकड़ के प्यार से मुझे बिठाया ।
और धनी मेरे सनमुख विराजमान हुवे।
 सुखपाल में बेठके  जो सुख मिल रहा है ये सुख सब्दातित है ।

सुख पाल भी आज बहोत खुश है कई दिनों से सुखपाल भी इस पल का इंतजार कर रहा था की कब मेरी सखिया आये और धनी के साथ मुझमे सवार हो ।

आखिर वो पल आहि गया और जेसे ही धनी का हुकम हुवा सुखपाल उड़ने के लिए तैयार हो गया ।

अभी तो एक और धनी का हुक्म हुवा ही हे की इतने में सुखपाल पवन से भी तेज जमीन से आसमान में आ गया ।

आसमान में सुखपाल उड़ने लगा एक और मेरी और पीया की नजरे तो एक दूजे में ही एक दूजेको ही निहार रही है ।
तो दूसरी और सुखपाल के साथ साथ हवा भी टकराती हुवी  कानो में आके गुन गुना रही है ।
जमीन की रौशनी आकाश में आके मुझे और पिया को छु रही है ।।
तो आकाश का नूर हमे छूता हुवा जमीन से मिल रहा है ।
 हर तरह आज मिलन की घड़ी है 

मेरा पीया से मिलन
हवा का सुखपाल से मिलन
सुखोपाल का हमसे मिलन
आकाश का जमीन से मिलन 
जमीन का आकाश से मिलन .....
सब का एक दुजेसे मिलन मेरे और पिया के मिलन को और सुंदर बना रहे है ।

पीया का मुझको प्यार से निहारना अपना हाथ आगे बढ़ा के मुझे उनके पास बुला के अपने साथ बिठाना क्या कहु ।

इस बेला को आसमान भी देख के खुस हो रहा है। 
और फूलो की बरसात हमपे कर रहा है ।

आगे आगे सुखपाल बढ़ रहा है तो पिया अब मुझे अपने पास बिठाके जमीन की सुहानी शोभा को दिखा रहे है ।

 कभी बन , तो कभी नहरे , कभी बगीचे , तो कहि फूल, कहि नदि , तो कही पुल मुझे पिया दिखा रहे है। 

बस आज में आकाश में उड़ती ही रहु .....
उड़ती ही रहु .....

सुखपाल ने अपनी गति और तेज करदी कभी निचे आता है कभी जोरो से आकाश में उड़ता है कभी दाए तो कहि बाए हिलोडे लेता है ।
 सुखोपाल के इस दाए बाए के हिलोडे के साथ पिया और मेरा भी एक दूजे को छूते हुवे हिलोडे लेना और नजदीक हमे ला रहा है ।

इश्क़ के इस सुहाने पल में आनंद ही आनंद आ रहा है ।

सुखपाल जेसे ही आगे बढ़ा तो सामने बादलो का ढेर था ।

मेने हाथ को लंबा करते हुवे बादल को छुआ ।
तो मेरा हाथ पानी से भर गया ।
और वो पानी को मेने पीया पे छाटा तो पीया मुस्कुराने लगे ।
तो पीया ने भी बादल को छूके मुझपे बूंदे गिराई ।

और इतने में सुखपाल बदलो के बिचसे निकल गया ।

जेसे ही आगे फिर से सुखपाल बादलो को चीरता हुवा निकला की बरसात होने लगी ।
और ठंडी ठंडी बूंदे मुझे और पिया को छूके मुस्कुरा रही है।
 सुखपाल आगे आगे उड़ रहा है ।
निचे पीया मुझे चांदनी चौक , लाल और हरा वृक्ष , चौक की रेत , सब दिखाते हुवे इश्क़ की गुफ़तगू करते करते आगे ले जा रहे है। 

और देखते देखते ही हमारा सुखपाल 6 भोम में आके पहली गली में खड़ा हो गया ।

पहले पीया सुखपाला से उठे और निचे उतरे ।
और अपना हाथ आगे बढ़ाके मेरा हाथ थाम के मुझे उतार सुखपाल से ।

सुखपाल से उतरके मेने देखा की 6 भोम में अनेको सुखपाल सजे हुवे है। 
और हर एक अलग अलग शोभा से सजा है ।

कई सुखपाल पंखो वाले हे , कई गुब्बारे जेसे है तो कई विमान जेसे है ।

ऐसे अनंत सुख से भर पुर सुखपाल को में निहारे जा रही हू। 

🛩✈🛰🚀





पीया मेरा हाथ थामे मुझे आगे ले जाते है 28 थंभ के चौक मे ।

जहां सब से बड़ा सुखपाल यानी तखतरवा दिखाते है ।
 तखतरवा 16 हांस का सजा हुवा है। 
जिसके 16 पाये है ।


धनी मुझसे कहते है तुम आ गयी  हो अब हमारी हर एक सखी आ जाये और हम जल्दी अब इस तखतरवा में शेर करने जाए ।


तख्तरवा में खुर्सिया , सिंहासन कुछ कह रहे है ।
आओ हम सब इन सुखो से भरे सुखपाल , तखतरवा , खुर्सिया ,सिंहासन के सुखो को ले लज्जत को ले 
इनसे बाते करे ।

और कुछ इनके दिल की भी सुने ।

क्या माया में हम इतने गर्क हो गये है...???

मारा व्हाला आतमसम्बन्धी सुन्दरसाथजी...

आज हमें पाक... पवित्र श्री कुलजम वाणी की बदौलत... अक्षरातीत श्री प्राणनाथजी... श्री राजश्यामाजी से हमारी मूल निसबत का पता चला है...!

हमारी मूल बैठक क्षर अक्षर के पार अखंड परमधाम के अंदर श्री रंगमहोल की प्रथम भोम... पांचवी गोल हवेली मूल मिलावा में है...!

फिर भी... हे सुन्दरसाथजी...

हम इतने निष्ठुर... इतने कठोर क्यूं है...?

हम सब की आतम की अपनी फितरत... अखंड की हमारी अपनी इश्क की प्रकृति... परमधाम का हमारा अपना नूरी स्वभाव... धामधनीजी से हमारी अपनी पूर्ण निसबत... अखंड परमधाम की ओर हमें खींचते क्यों नहीं है...???

क्या माया में हम इतने गर्क हो गये है...???

क्या हम इतने गये गुजरे है की... हमारा अपनापन... हमारा अपना धाम एवम हमारे अपने धामधनीजी को ही भूल गये है...?

पाक... पवित्र श्री कुलजम वाणी में हमारे सुभान... हमारे खाविंद... हमारे आधार... हमारे राहबर... हमारे दिलबर... हमारे प्राण प्रियतम श्री प्राणनाथजी... श्री युगलस्वरूप... श्री राजश्यामाजी के पूर्ण स्वरूप का बरनन जो लिखा है.. वो हमारी आतम की नजरो में क्यों नहीं आता है...?????

श्री कुलजम वाणी के हिसाब से देखा जाए तो...

श्री राजजी का... श्री श्यामाजी का पूर्ण स्वरूप...

अतिसुन्दर है...!

अनुपम है...!

मनमोहक है...!

दिलभीतर उतरनेवाला है...!

हमारी आतम के अंग अंग को... रोम रोम को... पाक... पवित्र इश्क से सराबोर करनेवाला है...!

परिपूर्ण नूर को रोशन करनेवाला है...!

अपनी ओर खींचनेवाला है...!

होंश... जोश को भूलानेवाला है...!

दिवाना... पागल बनानेवाला है...!

दिलोदिमाग से घायल करनेवाला है..!

हे मारा व्हाला सुन्दरसाथजी...

पाक पवित्र श्री कुलजम वाणी अनुसार... हमारे धनीजी का यह रंगीला शब्दातीत स्वरूप... आज हम... श्री इंद्रावती जी की आतम की नजरो से देखे तो...

आहां.. हां...हां....!!!

शब्द दिल भीतर ही अटक जाते है...!

सारे शब्द आंसू बनकर बाहर आ जाते है...!

आओ सुन्दरसाथ जी... आज हम अपनी अपनी आतम को बड़े प्यार से कहते है...

हो मेरी आतम...

तू अपनी निज स्वरूप परआतम से दिल लगाकर... एकबार तो देख...!

तुझे अपने दिल भीतर कुछ कुछ होता क्यों नहीं...?????

जीव का संग करके तूने अपनेआप को इतना निष्ठुर क्यों कर दिया है...?????

पाक पवित्र श्री कुलजम वाणी पढकर भी आज तुझ में परिवर्तन क्यों नहीं है...?????

क्या तुझे अपने निज घर अखंड परमधाम वापस जाना नहीं है...?????

सप्रेम प्रणामजी....

नूरी सुखपाल का एक साथ नूरी आकास में उड़ना ☺💖👌🏻

 सखियो ये छठी भौम अलग अलग सुखपालो से सुशोभित है🚗✨

कोई गोल कोई चोरस कोई एक बैठक वाला कोई 3 कोई कोई 4 बैठक वाला ☺👌🏻

जैसे सुपन संसार में अलग अलग गाड़िया होती है🚗🚕🚙🏎🚜 तो फिर धाम की न्यामत का क्या केहना हाय ☺💖

सखियो की लीला के समय ये अलग अलग सुखपाल का आनंद उसकी रफ़्तार का आनंद☺💖

नूरी सुखपाल का एक साथ नूरी आकास में उड़ना ☺💖👌🏻

कभी कभी तो एक एक सखी का एक एक सुखपाल छोटा सा प्यारा सा☺💖12000 सुखपाल💖☺👌🏻

एक साथ 12000 सुखपाल से आकास में हार की भांति आकर बनाना और पुखराज जी पर उतरना मानो बिलंद से बिलंद हार पुखराज जी को पहनाया हो वैसी लीला का आनंद☺💖👌🏻

12000 सुखपाल का नूरी आकास में उड़ना वही 12000 सुखपाल का एक साथ आकास में होना सब चेतन सुखपाल का मिलन होना और अचानक तख्तरवा में परिवर्तन होना हाय क्या कहे उस छठी भोम वाले नूरी सुखपाल का आनंद बस उसके गुण कितना आनंद देते है ....

बोल बोये नरम रोसन☺💖
 सखियो ये छठी भौम अलग अलग सुखपालो से सुशोभित है🚗✨

कोई सुखपाल गोल कोई चोरस कोई एक बैठक वाला कोई 3 कोई कोई 4 बैठक वाला ☺👌🏻

जैसे सुपन संसार में अलग अलग गाड़िया होती है🚗🚕🚙🏎🚜 तो फिर धाम की न्यामत का क्या केहना हाय ☺💖

सखियो की लीला के समय ये अलग अलग सुखपाल का आनंद उसकी रफ़्तार का आनंद☺💖

नूरी सुखपाल का एक साथ नूरी आकास में उड़ना ☺💖👌🏻

कभी कभी तो एक एक सखी का एक एक सुखपाल छोटा सा प्यारा सा☺💖12000 सुखपाल💖☺👌🏻

एक साथ 12000 सुखपाल से आकास में हार की भांति आकर बनाना और पुखराज जी पर उतरना मानो बिलंद से बिलंद हार पुखराज जी को पहनाया हो वैसी लीला का आनंद☺💖👌🏻

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बोल बोये नरम रोसन☺💖

धणी श्री धाम💖☺🙏🏻👣

Maan chahta h takhtarwa mai baith kar ud jaun

Chati bhoom
Sakhiyo ka mann chaaha sthan
Rang mouhal ko gher kar 6000 mandiro ki bahri haar aur pehali thambo ki haar ke madhye dehlaan me 6000 shukhpaal aaye h sham ke 3 baje ye teeji bhoom ki padsaal me lag jaate h ek sukhpaal me Raj shyamaji aur baaki sukhpaalo me 2  2 sakhiya virajmaan hoti h
Sukhpalo ke undar ki shobha
Kalash noormayi chatriya chatriyo ke charo or motiyo ki jhalar jhande sukhpaalo ki shobha badha rahai h
Sukhpaalo ke undar
Gadi takiye laal rang par sunehri gata kya maan ko lubha raha h laal gilam bel bute komal  chetanta liye h
Rajji sakhiyo se puchte hai aaj kaha chalna h
Sakhiya kehti h 
Aaj sagro ki ser karni h
Jese hi sakhiya baithi sukhpaal mann vagi udaan bharne lage udaan bharte hi paramdham ke najare mann lubhae lage kahi bagiche kahi pashu pankhi in sukho ka varnan karna asambhav h

Ye sukh to ruhe hi le sakti h
Takhtarwa
Ek gol mehal
Rang mohoul ki chati bhoom me 28 thambo ka chaok takhtarwa ke rehne ka sthan h
Takhtarwa me 16 paye aur16 hi kalash h ek kalsh beech ki chatri par aaya h takhtarwa 16 pehal ka h iske ek pehal me 8 mandir h  jo alag  alag shobha se bharpoor h
Undar ki shpbha
Gadi sofe takiye kathere se lage h
Undar jo gilam bichi h usme bel booto ki asi chitrkaari h jo ruho ko aapni or kheech rahi h mano bala rahi h 
Ek singhyasan raj shyamaji ka h

Noor se bharpoor ese rango ka mishran h ki ruh maan ki aankho se hi dakh sakti h
Takhtarwa ki chat paardarshi aayi h
Uske manohaari rango ki chata kr kya kehne lagata h baadlo me bijali chamkne se hajaro rang bikhar gaye hao 
Jo javero ki bhanti chamak rahe h
Rang birangi raoshni se pura takhtarwa  shobhaye maan h
Jab Raj shyamaji aur ruhe ek saath baithti h us samaye ki shobha ka varnan  namumkin h maan vegi udsan
Lehrata balkhata kabhi upar kabhi neeche lagta h koi mehal uda ja raha h
Sakhiya aur raji meethi bate karte hue maanchaahi jagahon par jate h
Raj shyamaji aur 12000 ruhe ek sath ser ko jate h

Yeh najara chitvani se dekha ja sakta h
Maan ki udaan ko kitna rokun
Rukne ko tayar nahi
Maan chahta h takhtarwa mai baith kar ud jaun
Mai bhi paramdham ka hissa ban jaun
Kabhi sukhpaal kabhi takhtarwa ho jaun
Kabhi laot vapas n aaun
Raj shayama ke dil ka ek kissa ban jaun

Pranam