Friday, 11 December 2015

mukhydwar

रूह मेरी देख --नूरी दर्पणके  द्वार की शोभा -उनमें झलकते प्रतिबिंब -

और उनमें तेरा अक्श

कितना नूरी स्वरूप

सोहना अति सोहना स्वरूप मेरी परआतम का ,

नूर ही नूर ,

लंबे लंबे लहराते नूरी केश ,

गौर वर्ण में लालिमा लिए सुंदर स्वरूप ,

दुल्हन सा सिनगार ,

नूरी आभूषण

वस्त्रों को समेटते हुए बड़ी नाज़ुक प्यारी सी अदा से रूह जैसे ही आगे बढ़ती हैं द्वार स्वतः ही खुल गये ---सुगंधी की लहरें ,पिया के इश्क में मदहोश करती --लहंगे को उठा कर दिल में बड़े ही प्यार लेकर एक सीढ़ी ऊँची चौखट को मेरी रूह पार करती हैं

रूह ने चौखट को जैसे ही पार किया तो उसने देखा कि

धाम द्वार के लिए आया यह मंदिर दो मंदिर का लंबा और एक मंदिर का चौड़ा आया हैं | पूर्ब् और पश्चिम 88-88 हाथ के दर्पण के द्वार शोभा ले रहे हैं और उत्तर दक्षिण पाखे के मंदिर में जाने के वास्ते 33-33 हाथ के द्वार सुशोभित हैं |
पूर्व -पश्चिम में आएं नूरी दर्पण के दरवाजे आमने -सामने झलकार कर रहे हैं | उनकी जोत आपस में टकरा युद्ध करती हुई मनोहारी प्रतीत हो रहीं हैं |

धाम द्वार के वास्ते सुशोभित मंदिर की शोभा को दिल में धारण करती मेरी रूह आगे
बढ़ती हैं और पश्चिम दिशा में आएँ द्वार से चौखट पार कर धाम द्वार को मदमस्त अदा से पार कर रूह रंगमहल के भीतर प्रवेश करती हैं |

 रंगमहल में हर ओर उल्लास का समा हैं | मंद मंद संगीत लहरी , फूलों के पालक पांवडे🌸🌹🌸🌹🌸🌹🙏

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