Vaaani me aisa aata hai ki jo saat van hai unki daliya rangmohal ke jharokho se milti hai...to que yah ki kya ye chandni chok ki jo jagah hai..vah upar tak khali rehti hai yaa..in do laal aur hare pedo ki daliya bhi rangmohal ke jharokho se milti hai..??
वाणी में यह वर्णन आता हैं कि रंगमहल की पूर्व दिशा में जो वन लगे हैं --केल ,लिबोई और अनार --इनकी डालियां रंगमहल के झरोखों से एक रूप मिलन करती हैं | इन वनो के पहली हार वृक्ष जो रंगमहल की और आए हैं वह 22 सीढ़ियाँ वनों की बना कर 22 हाथ ऊँचे उठकर एक मंदिर का छतरिमंडल बढ़ा कर रंगमहल के पहली भोंम के झरोखों से मिलान करते हैं और इन वृक्षों की दूसरी भोम छज्जो से मिलान करती हैं
लेकिन जो लाल हरे वृक्षों का वर्णन चाँदनी चौक में आया हैं यह रंगमहल से मिलान नहीं करते
इन वृक्षों की अलौकिक शोभा आईं हैं | सरकार श्री जी कहते हैं कि यह वृक्ष आपके स्वागत के लिए हैं |
33 मंदिर का लंबा चौड़ा चबूतरा ---तीन सीढ़ी ऊँचा --चारों दिशा से उतरती सीढ़ियाँ --घेर कर कठेड़ा-और ठीक मध्य एक मंदिर का तना जो 75 हाथ सीधा ऊपर को जाता हैं -इसके बाद वृक्ष हर दिशा में डालियां बढ़ा कर चंद्रवा करता हैं |पहली भोंम की शोभा तो बरामदे की तरह --
दूसरी भोंम मे तना फिर से उठा --और अब इन वृक्ष ने जो छत डाली --उनकी डालियों ने कुछ इस तरह से जुगति कि यहा शोभा एक बड़े से हाल की माफिक ---33 मंदिर का लंबी चौड़ी फूलों की शोभा --नीचे फूल ऊपर फूल --चारों और महेराबी द्वार ---फुलो के सिंहासन कुर्सियाँ --और छत पर गुमट कलश
No comments:
Post a Comment