Friday, 11 December 2015

rangmahal ke mukhydwar tak-ruh ki chitvan

मेरे धाम की सोहनी सीढ़ियाँ मैं चढ़ रही हूँ --अति कोमल

सीढ़ियाँ और भी कोमल होकर रूह का अभिनंदन कर रही हैं और मेरी रूह भी बहुत ही चतुराई से कदम आगे बढ़ा रहीं हैं

धाम की खुश्बू ,सुकून ---100 सीढ़ियाँ 20 चान्दो सहित पार कर के मैं धाम द्वार के सम्मुख पहुँची

देखिए ना श्री राज जी अपनी रूह को कितनी प्यारी मनमोहक शोभा दिखा रहे हैं

अपने घर की -दो मंदिर के लंबे चौड़े चौक में खड़ी हैं हम सखिया --मुख हमारा मुख्य द्वार की और --तो देखे सामने बादशाही द्वार मेरे घर --और ठीक पीठ पीछे की और उतरती सीढ़ियाँ ..उनकी अलौकिक मनोहारी शोभा --चाँदनी चौक --जहाँ तक नज़र गयी चाँदनी चौक ही नज़र आया ..इतना अधिक विस्तार ,,रेती का नूर ..सुगंधी के झोंके
और अब देखे दोनों और दाएँ बाएँ आएँ चबूतरों की अत्यंत ही सुंदर शोभा
श्री राज जी की अपार मेहर से रूहें देखती हैं की दोनों और चार चार मंदिर के लंबे और दो दो मंदिर के चौड़े एक सीढ़ी ऊँचे चबूतरे आएँ हैं |

चबूतरे की पूर्व किनार पर हीरा ,माणिक ,पुखराज ,पाच और नीलवी के नूरी थम्भ शोभा ले रहे हैं | थम्भो के मध्य अति सुंदर रत्नों से जडित ,फूलों से महकती रेलिंग की शोभा आईं हैं |

चबूतरे की पश्चिम की और देखिए बाहिरी हार मंदिर हैं वहीं आएँ हैं |
चबूतरे पर अति कोमल गिलम बिछी हैं और छत पर मनोहारी मोतियों की झालर से युक्त चंद्रवा हैं

और मेरी धाम की अखंड निसबती सखी --गिलम पर आईं नूरी चेतन कुर्सियों और सिंहासन की शोभा मानों तुझे बुला रही हैं आ जाओ ना मेरी प्यारी सखी

फूलों से सुंदर कोमल बैठक हमारे लिए --उन पर विराजमान हुए और देख रहे हैं सामने --चाँदनी चौक में देखिए जूथ के जूथ पशु पक्षी उमड़ पड़े आपके दीदार की एक झल्क की खातिर --अपनी अपनी फ़ौजों के साथ --और वो एक अद्भुत दृश्य --दूर जमुना जी पाल पर खड़े महाबिलंद हाथी --अपनी सुंड में जल भर आपकी और बरसा रहे हैं जैसे कि यह उनका पिऊ वंदना का अपना अनोखा अंदाज हो

नूरी रंग बिरंगे घौड़े --उनकी ऊँचे आसमान में उड़ान
छोटी छोटी चिड़ियों आ आ कर आपको फूल पेश कर रही हैं | आपके ज़ुल्फो में गुलान की कली लगा कर प्रसन्न होती हैं |
और देखिए धाम की मनोहारी सीढ़ियों से आती मोती की पुतलियाँ आपके लिए इश्क रस से भर भर प्याले ला रही हैं |


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