Thursday 17 March 2016

✍🏻 चर्चनी ✍🏻 त्रिजी भोम ।

✍🏻  चर्चनी  ✍🏻

त्रिजी भोम ।


हमारा रंग महोल 201 हांस का है ।
पूर्व दिशा जहा से हम अंदर जाए वहा 10 मंदिर का एक हांस होने से वहा हांस की सोभा की जगह धाम दरवाजा बना हुवा है ।

धाम दरवाजा 2 भोम का ऊँचा यानी भुलभुलवनि की 2 भोम तक आया है ।

इस से 3 भोम में 10 मन्दिर के हांस की जगह में एक खुला बहार की और निकला हुवा छज्जा आया है इसे 
झरोखा या
पड़साल कहते है।
यह 10 मंदिर का लंबा और 2 मंदिर का चौड़ा है ।

पड़साल की तिन तरफ यानी दक्षिन , पूर्व , और उत्तर की और कठेडा बना हुवा है जिस को पकड़ कर हम खड़े रह सकते है ।
जहां से हम पूर्व की और मुख करके खड़े होके पूर्व की और आयी सोभा को देख सकते है ।

जेसे की चांदनी चौक 
7 घाट
7 बन
जमुना जी 
Etc....

यह पदसाल हमारे धाम दरवाजे से बहार की और है ।

यह 3 भोम का 1 भाग हुवा पदसाल ।


अब धाम दरवाजे बिलकुल ऊपर तीसरी भोम में 4 मन्दिर की लंबी और 1 मंदिर की चौड़ी दहेलान आई है ।
इस दहलान में 4-4 सखिया राज जी महाराज को सिंगार कराती है ।

दहलान का लग के दक्षिण और उत्तर दिशा में मंदिर आये हुवे है । जिस में दक्षिण दिशा दहलान को लग के आये हुवे 3 मन्दिर ख़ास है ।

जिस में दहलान को लग के आया पहला मन्दिर नीला रंग का आया है ।

3 तीसरा मन्दिर पिला रंग का आया है ।

1 ओर 3 मन्दिर के बिच का मन्दिर यानि 2 दूसरा मन्दिर नीला पिला रंग का आया है ।

क्यों की पहले मन्दिर का नीला रंग 2 मन्दिर में गिर रहा है और 3 मन्दिर का पिला रंग भी आधा 2 मन्दिर में गिरने से इन दोनों रंगो से आधा आधा सज के निले-पिले रंग का मन्दिर सजा हुवा है ।



यह दहेलान तीसरी भोम का 2 भाग हुवा ।

इसी दहलान को लग के आगे पश्चिम दिशा की और 4 मंदिर का लंबा और 1 मन्दिर का चौड़ा चबूतरा आया हुवा है ।

यह चबूतरा ground floor में धाम दरवाजे के अंदर की और पहली गली आई है उस के ऊपर यह चबूतरा बना हुवा है 3 भोम मे ।

यह तीसरी भोम का 3 भाग शोभा है ।

चबूतरे से लग आगे पश्चिम दिशा की और 28 थंभ का चौक आया हुवा है ।

चबूतरे से 28 थंभ के चौक में जाने के लिए 3 सीढिया आई हुवी है ।

इन सीढियो का सुख अर्श की हर एक सीढ़ी से ज्यादा मुझे मिलता है ।

28 थंभ के चौक के दक्षिण दिशा में आये हुवे मन्दिरो की दूजी हार में आसमानी रंग का मन्दिर आया हुवा है जिस में 4-4 सखिया श्यामाजी को सिंगार सजाती है ।


28 थंभ का चौक तीसरी भोम का 4 भाग है ।

इस तरह से हमारी बड़ी बैठक की शोभा आई है ।

जिस में 3 भाग ख़ास है ।

1.. पड़साल
2.. दहलान 
3.. चौक 


दहलान दस मन्दिर का, झरोखे दस सामिल ।
माहे चौक दस मन्दिर का,
हुए तीनो मिल कामिल ।।


तीसरा हिस्सा एक हांस का,
ए जो दस झरोखे ।
द्वार स्तंभ आगूं इन,
ना दीवाल बिच इनके ।।




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