Tuesday, 29 March 2016

चौथी भोम 🌹

चौथी भोम 🌹
चौथी भोम की चोरस हवेली में निरत की लीला होती है निरत की भोम चेतन ,नूरमयी ,प्रकाशमान और इश्क की सुगंधी से लबरेज हैं श्री राज स्यामाजी  चबूतरे के मध्य पर नुरमयी सिंहासन पर विराजमान होते है 
नवरंग बाई और उनके जूथ की सखियां सुभान के सामने दिल मे प्यार ही प्यार ले कर निरत की लीला कराते है नवरंग बाई अलौकिक निरत,मृदंग बाई  मृदंग बजाते , तान बाई ताल से ताल मिलाते  हैं और सेन बाई सुरीले स्वर में गायन कर रही हैं केल बाई मधुर कण्ठ से राग गाते है   झरमर बाई  मधुर झरमरी बजाते है 
मोरबाई बांसुरी  बजाते है 
"बांसुरी  राज जी नहीं बजते "

मुरली बजावत मोरबाई,बेनबाई बजंत्र ।
तानबाई तान मिलावत,निरत जामत इन पर ।।

इस निरत की लीला का प्रतिबिंब पुरे परमधाम में पड़ता है सभी जगह निरत दिखाई देता है 

साथजी जिस तरह live telecast होता है वेसे ही पुरे परमधाम में अनंत अखंड प्रतिबिंब दिखाई देता है और सुमधुर स्वर युक्त सरगम का संगीत की ध्वनि पुरे परमधाम में बजती है और वो ध्वनि परमधाम के थंभ,दीवाल से टकरा के प्रतिध्वनि उत्पन होती है उसका वर्णन शब्दों में हो नहीं सकता जिस की अनुभूति ही हो सकती है

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