💖💖💖💖आज खड़ोकली की शोभा देखे
इलम से
खूब झीले खड़ोकली में
कभी भूलवनी में रामत कर झीलन के अखंड सुख लिए तो कभी झील कर भुलवनी की रामत करी
तो चले साथ जी अपनी निज नज़र को रंगमहल की उत्तर दिशा में मोड़े💦💦
रंगमहल की उत्तर दिशा में श्रीराज जी रूहों को दिखाते हैं धाम की अत्यंत मनोहारी शोभा
रूह मेरी रंगमहल के वाय्व्व कोण पर आओ अर्थात उत्तर पश्चिम कोण | कोण पर आए चहेबच्चा की शोभा --
सोलह पहल का विशाल चहेबच्चा और उनसे उठते दसवीं आकाशी तक जाते फव्वारे देख |
फिर रंगमहल की धाम रोंस से पूर्व की तरफ चल
40 हांस तक धाम रोंस के साथ साथ लाल चबूतरा की शोभा आई हैं --40 हाँसो में सजी एक से बढ़ कर एक सुंदर बैठक --और लाल चबूतरा की बाहिरी ---उत्तरी किनार से हांस हांस में वन में उतरती सीढ़ियाँ --और बडो वन की अलौकिक शोभा देखते हुए 40 हांस पार किए
लाल चबूतरा के आगे 40 मंदिर और चले
अब इनके आगे 30 मंदिर की जगह में खड़ोकली की शोभा आई हैं |तो आओ मेरी सखियों ,खड़ोकली की शोभा को निरखे
रूह मेरी तू धाम रोंस पर खड़ी हैं --यहाँ से रंगमहल के चबूतरा से दो मंदिर का चौड़ा चबूतरा उत्तर दिशा में जाता हैं --रंगमहल के चबूतरा से लगते हुए उत्तर की और तीस मंदिर --अब यहाँ से यह चबूतरा पूर्व दिशा की और तीस मंदिर चलता हैं --और फिर दक्षिण की और घूम कर 30 मंदिर आगे आ कर पुनः रंगमहल के चबूतरा से मिलान कर लेता हैं |
अब इन तीनों दिशा में घूमे चबूतरा की शोभा देखे
दो मंदिर का चौड़ा यह चबूतरा
बाहिरी वन की और आई एक मंदिर की जगह में रोंस आईं हैं --रोंस से पूर्व ,पश्चिम और उत्तर --तीनों दिशा में ताड़ वन में चाँदों से सीढ़ियाँ उतरी हैं और घेर कर कठेड़ा आया हैं
रोंस के भीतर आई एक मंदिर की जगह में तीनों दिशा में मंदिरों की शोभा आई हैं | हर दिशा में 30-30 --कोने का मंदिर दोनों और गिनती में आता हैं तो 88 मंदिरो की शोभा आईं हैं |
इन मंदिरों की शोभा रंगमहल के मंदिरो के समान ही आईं हैं | मंदिरों की बाहिरी दीवार में रंगमहल के मंदिरों के समान ही झरोखा और दो दो द्वारों की शोभा आई हैं | अब मंदिर के भीतर चलते हैं
एक मंदिर के भीतर गये तो 100 हाथ का लंबा चौड़ा मंदिर --सभी साजो समान से युक्त और पाखे की दीवार मे द्वार
यहाँ मंदिर की भीतरी दीवार में द्वार नहीं आएँ हैं क्योंकि भीतर खड़ोकली का जल हैं |
यह शोभा तो हुई उत्तर ,पूर्व पश्चिम की ---अब देखे दक्षिण की और
अर्थात रंगमहल की और
यहाँ पूर्व और पश्चिम की और आए मंदिरो के बीच की जो जगह हैं --30 मंदिर की --वहाँ 30 मंदिर की लंबी पूर्व से पश्चिम और एक मंदिर की चौड़ी दिवार धाम रोंस के साथ लगते हुए आई हैं
अब मंदिरों मे आईं सीढ़ियों से भोंम भर चढ़ कर ऊपर आइए
मंदिरो की छत पर आए
और देखा यहाँ से जल के दर्शन हो रहे हैं | 28 मंदिर की लंबाई चौड़ाई में निर्मल ,उज्जवल ,सुगंधित चेतन जल --तो जल तीन भोंम गहराई लिए हैं --कैसे ?
एक भोंम परमधाम की ज़मीन के नीचे
दूसरी भोंम रंगमहल के चबूतरकेा साथ
तीसरी भोंम रंगमहल के पहली भोंम मंदिरों के साथ
तो इस प्रकार से जल के दर्शन दूसरी भोंम में होते हैं |
लहराता उज्ज्वल जल और घेर कर एक मंदिर की पाल --एक और शोभा जो रूह देखती हैं कि जल के भीतर 3 सीढ़ी नीचे खड़ोकली की दीवार से छज्जा निकला हैं और छज्जा की भीतरी किनार पर कठेड़े की शोभा हैं --तो मेरी सखी ,यही जल चबूतरा हैं जहाँ पर कुंड की चारों दिशा से चान्दो से सीढ़ियाँ उतरी हैं और घेर कर कठेड़ा सुशोभित हैं |
तो जल चबूतरा पर झीलन के सुख ले
एक मंदिर की पाल से पूर्व ,पश्चिम और उत्तर की और 33 हाथ का छज्जा निकला हैं जिसने रंगमहल के छज्जे से एक रूप मिलान किया हैं तो यहाँ से दौड़ते हुए रंगमहल के छज्जा पर रूहें जाती हैं
और अब रूह देखती हैं दक्षिण दिशा में --यहाँ की पाल दक्षिण की दीवार की चाँदनी पर आई हैं --रंगमहल के मंदिरों से इनकी दूरी एक मंदिर भर की हैं | खड़ोकली के सामने आएँ रंगमहल के तीस मंदिरों के दोनो और गुर्ज आए हैं इनकी शोभा एक ही भोंम तक आई हैं पुल के वास्ते --यहाँ पर दिवार और रंगमहल दोनो तरफ से छज्जा निकलते हैं और आपस मे मिलान करके एक पुल की शोभा बनाते हैं |
तो पुल पाल करके बाहिरी हार मंदिर रूहें पार करती हैं ,आगे दो थम्भ की हार तीन गलियाँ रूह पार करती हैं तो देखती हैं पुनः दो थम्भ की हार तीन गली के पार भूलवनी की अपार शोभा --तो मेरी इन शोभा को अपने धाम हृदय में धारण कर
इलम से
खूब झीले खड़ोकली में
कभी भूलवनी में रामत कर झीलन के अखंड सुख लिए तो कभी झील कर भुलवनी की रामत करी
तो चले साथ जी अपनी निज नज़र को रंगमहल की उत्तर दिशा में मोड़े💦💦
रंगमहल की उत्तर दिशा में श्रीराज जी रूहों को दिखाते हैं धाम की अत्यंत मनोहारी शोभा
रूह मेरी रंगमहल के वाय्व्व कोण पर आओ अर्थात उत्तर पश्चिम कोण | कोण पर आए चहेबच्चा की शोभा --
सोलह पहल का विशाल चहेबच्चा और उनसे उठते दसवीं आकाशी तक जाते फव्वारे देख |
फिर रंगमहल की धाम रोंस से पूर्व की तरफ चल
40 हांस तक धाम रोंस के साथ साथ लाल चबूतरा की शोभा आई हैं --40 हाँसो में सजी एक से बढ़ कर एक सुंदर बैठक --और लाल चबूतरा की बाहिरी ---उत्तरी किनार से हांस हांस में वन में उतरती सीढ़ियाँ --और बडो वन की अलौकिक शोभा देखते हुए 40 हांस पार किए
लाल चबूतरा के आगे 40 मंदिर और चले
अब इनके आगे 30 मंदिर की जगह में खड़ोकली की शोभा आई हैं |तो आओ मेरी सखियों ,खड़ोकली की शोभा को निरखे
रूह मेरी तू धाम रोंस पर खड़ी हैं --यहाँ से रंगमहल के चबूतरा से दो मंदिर का चौड़ा चबूतरा उत्तर दिशा में जाता हैं --रंगमहल के चबूतरा से लगते हुए उत्तर की और तीस मंदिर --अब यहाँ से यह चबूतरा पूर्व दिशा की और तीस मंदिर चलता हैं --और फिर दक्षिण की और घूम कर 30 मंदिर आगे आ कर पुनः रंगमहल के चबूतरा से मिलान कर लेता हैं |
अब इन तीनों दिशा में घूमे चबूतरा की शोभा देखे
दो मंदिर का चौड़ा यह चबूतरा
बाहिरी वन की और आई एक मंदिर की जगह में रोंस आईं हैं --रोंस से पूर्व ,पश्चिम और उत्तर --तीनों दिशा में ताड़ वन में चाँदों से सीढ़ियाँ उतरी हैं और घेर कर कठेड़ा आया हैं
रोंस के भीतर आई एक मंदिर की जगह में तीनों दिशा में मंदिरों की शोभा आई हैं | हर दिशा में 30-30 --कोने का मंदिर दोनों और गिनती में आता हैं तो 88 मंदिरो की शोभा आईं हैं |
इन मंदिरों की शोभा रंगमहल के मंदिरो के समान ही आईं हैं | मंदिरों की बाहिरी दीवार में रंगमहल के मंदिरों के समान ही झरोखा और दो दो द्वारों की शोभा आई हैं | अब मंदिर के भीतर चलते हैं
एक मंदिर के भीतर गये तो 100 हाथ का लंबा चौड़ा मंदिर --सभी साजो समान से युक्त और पाखे की दीवार मे द्वार
यहाँ मंदिर की भीतरी दीवार में द्वार नहीं आएँ हैं क्योंकि भीतर खड़ोकली का जल हैं |
यह शोभा तो हुई उत्तर ,पूर्व पश्चिम की ---अब देखे दक्षिण की और
अर्थात रंगमहल की और
यहाँ पूर्व और पश्चिम की और आए मंदिरो के बीच की जो जगह हैं --30 मंदिर की --वहाँ 30 मंदिर की लंबी पूर्व से पश्चिम और एक मंदिर की चौड़ी दिवार धाम रोंस के साथ लगते हुए आई हैं
अब मंदिरों मे आईं सीढ़ियों से भोंम भर चढ़ कर ऊपर आइए
मंदिरो की छत पर आए
और देखा यहाँ से जल के दर्शन हो रहे हैं | 28 मंदिर की लंबाई चौड़ाई में निर्मल ,उज्जवल ,सुगंधित चेतन जल --तो जल तीन भोंम गहराई लिए हैं --कैसे ?
एक भोंम परमधाम की ज़मीन के नीचे
दूसरी भोंम रंगमहल के चबूतरकेा साथ
तीसरी भोंम रंगमहल के पहली भोंम मंदिरों के साथ
तो इस प्रकार से जल के दर्शन दूसरी भोंम में होते हैं |
लहराता उज्ज्वल जल और घेर कर एक मंदिर की पाल --एक और शोभा जो रूह देखती हैं कि जल के भीतर 3 सीढ़ी नीचे खड़ोकली की दीवार से छज्जा निकला हैं और छज्जा की भीतरी किनार पर कठेड़े की शोभा हैं --तो मेरी सखी ,यही जल चबूतरा हैं जहाँ पर कुंड की चारों दिशा से चान्दो से सीढ़ियाँ उतरी हैं और घेर कर कठेड़ा सुशोभित हैं |
तो जल चबूतरा पर झीलन के सुख ले
एक मंदिर की पाल से पूर्व ,पश्चिम और उत्तर की और 33 हाथ का छज्जा निकला हैं जिसने रंगमहल के छज्जे से एक रूप मिलान किया हैं तो यहाँ से दौड़ते हुए रंगमहल के छज्जा पर रूहें जाती हैं
और अब रूह देखती हैं दक्षिण दिशा में --यहाँ की पाल दक्षिण की दीवार की चाँदनी पर आई हैं --रंगमहल के मंदिरों से इनकी दूरी एक मंदिर भर की हैं | खड़ोकली के सामने आएँ रंगमहल के तीस मंदिरों के दोनो और गुर्ज आए हैं इनकी शोभा एक ही भोंम तक आई हैं पुल के वास्ते --यहाँ पर दिवार और रंगमहल दोनो तरफ से छज्जा निकलते हैं और आपस मे मिलान करके एक पुल की शोभा बनाते हैं |
तो पुल पाल करके बाहिरी हार मंदिर रूहें पार करती हैं ,आगे दो थम्भ की हार तीन गलियाँ रूह पार करती हैं तो देखती हैं पुनः दो थम्भ की हार तीन गली के पार भूलवनी की अपार शोभा --तो मेरी इन शोभा को अपने धाम हृदय में धारण कर
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