Sunday, 20 March 2016

पिया के इश्क़ में आराम और विश्राम है

आज मेरा दिल बड़ी बैठक के बारे में सखियो के भाव् पढ़ रहा था ।

इश्क़ के उन भाव् को पढ़ते पढ़ते दिल उस इश्क़ में ही खो गया ।

और मेरे अर्श दिल ने अपने ही इश्क़ की गहराई में डूबने की तैयारी करते हुवे ।

मेने अपने आप को जमुना जी के गहरे जल में भीगा हुवा पाया ।

जमुना जी का जल बहता हुवा जोर से आया और जल की उस इश्क़ की तूफानी मस्ती में में बहती चली गयी ।

मछली बन के तैरती हुवी पाल पे आके सज धज के आगे चली ।

इश्क़ के पंख लगाये तितली बन के उड़ने लगी ।


चांदनी चौक , सीढ़ियां , धाम दरवाजा को झुके उड़ती हुवी बढ़ती चली ।

और आके पहली भोम में जमीन पर कदम रखे ।

पहली भोम में सामने देखा तो रसोई घर से मीठी सुगंध खीच रही थी। 
उस महक के पीछे पीछे में खिची जा रही थी। 

आगे जाके देखा तो स्याम स्वेत मंदिर को देख के लगा यह महेक यही से आ रही होगी ।

पर नही ।
यह महेक मुझे श्याम स्वेत मन्दिर के बिच के सीडी वाले मन्दिर से आ रही थी ।

यह सीढियो वाला मन्दिर जो 9 भोम तक जाता है ।

यह महेक इन सीढियो से आ रही थी ।

आगे जाके देखा तो सीढियो पे पिया खड़े थे ।

अब समज आया की महेक बन के पिया अपने पास मुझे खीच रहे थे ।

उनकी नजरो में नजरें मिली की होंठ मुस्कुराने लगे ।

पिया ने अपना हाथ आगे बढ़ाया और एक पल की भी देरी किये बिना मेने अपना हांथ पिया के हाथ में दे दिया ।

इस समय मेने देखा की मेरे पिया ने आज सिर्फ वस्त्रो का सिंगार किया है।

आभूषण का सिंगार नही था आज ।

आभूषण के सिणगार बिना भी पिया बादसाह शहेनसा लग रहे थे ।

बस पिया के हाथो में हाथ थामे सीढियो से पिया के कदमो पर मेरे कदम रखते हुवे आगे चल रहे थे ।

देखते देखते ही हम 3 भोम  में आ गए ।

3 भोम सागर के समान लग लग रही थी ।
पिया का सामने देखके मुस्कुराना मेरी नजरे झुकना मानो सागर की लहरे पास होके मस्ती में झूम रही हो ऐसा प्रतीत हो रहा था ।

पिया हाथ थामे में मुझे पड़साल में ले गए ।
झरुखा पिया के साथ मुझे देख के खुस हो रहा था ।

पिया ने अपनी नजर से मुझे इसरा करते हुवे चांदनी चौक को दिखाया ।

हमारे इस मिलन को देखने अर्श के सभी पसु पंखी चांदनी चौक में आके खड़े थे ।

मुझे ऐसा लग रहा था की ।

आज पीया के साथ शादी है और यह सभी पशु पंखी बाराती बन के आये है ।

बंदरो के हाथ में सहनाई , ढोल , नगारे 
जेसे अखण्ड मिलन को संगीत से सजाने आये है ।

और मीठी कोयल की कुह... कूह ... 
मेना का आलाप

मयूर का पंख लहराके नाचना पुरे महोल को रोमांचित बना रहा है ।
मेने तोता को देखा तो तोता उड़के हाथो पे बैठ गया ।
और मेरे कान में कुछ कह गया ।

एक और तितली आके गुन गुना गयी ।
मुझे कह गयी सखी आज इश्क़ का मौसम है ।
दुल्हन से  अर्धांग्नी बन ने का पल है ।
आधे से आज पूरा होने का दिन है ।
एक पल समज नही पायी पर दिल को सुनके खुसी मिल रही थी ।

धनी का सामने देख के मुस्कुराना आज रोम रोम में एक नया अहसास भर रहा है ।

चांदनी चौक में पंखी आकाश में उड़ रहे थे पंख लहरा के रामत कर रहे थे नाच रहे थे ।

तो जमीन पर जमीन के पशु बाजिन्त्र बजा रहे थे ।
खेल कर रहे थे ।

इन इश्क़ की लीला में मेने देखा पिया के पैर भी आलाप दे रहे थे ।

मेरा दिल यह देख खुसी से झुमें जा रहा था ।




अब पिया ने हाथ थामे दहलान में ले चले ।

दहलान में चौकी पर बैठे पिया और सामने मुझे बिठाया ।

हम आमने सामने में उनकी आँखों में देख ही रही थी की सारे आभूषण पल भर में सामने आ गए ।

अब आभूषण को देख के समज आया की पीया ने आज आभूषण का सिंगार क्यों नही किया था ।

क्यों की आज मुझे उन्हें अपने हाथो से जो सजाना था ।

दहलान में बैठ के पिया के साथ प्यार की मीठी मीठी बाते करते हुवे खुसनुना हवा के संग जो मेरे बालो को लहराते हुवे जा रही थी । 
मेने पिया का आभूषण का सिंगार किया ।

मांथे पे पाघ
नाम में बेसर
कानो में कुण्डल
गलमें हार
हाथो में मुन्दरिया 
पहोची
बाजुबद से सजाया ।

अंत में मेरे जिव के जीवन मेरे दूल्हा के चरणों का सिगार किया ।

झांझरी
घुघरी
काम्बि
कडली पहनाई और चरणों को चूम के प्रणाम किये ।

पिया अपना सिंगार मेरी आँखों में देख रहे थे ।

पिया ने इसरा करते हुवे मुझे दुल्हन का सिंगार करने को कहा ।


में पिया को दिल में बसाए मन्दिरो में जाके सिंगार करने गयी ।










पीया के हुकम से सारी खूब खुसालिया मुझे तैयार करने आ गयी थी ।

मुझे हर तरह से सजा दिया था ।

एक दुल्हन की तरह फिर भी कुछ अधूरा लग रहा था मेरे सिंगार में मुझे ।

दिल जोरो से  पिया पिया पुकार रहा था ।

में सज धज के मन्दिर से बहार आई ।
पायल की छन छन से पिया ने मेरे आनें की आहत जान ली ।

जितना में उन्हें देखने बेताब थी ।
उतना वो भी बेताब थे ।

मुझे बेताबी थी की पिया मुझे देखे जिनके लिए ये रूप ये सिंगार किया हे जब तक पिया की नजरे ना पड़े ये सिंगार अधूरा है ।

में कदम को तेज करते हुवे आगे चली ।

बड़े चौक की 3 सीढियो के सामने आके में खड़ी हु ।

पिया भी सामने आके खड़े हे ।

आखिर वो पल नजदीक आया जहां पूर्ण होने का पल था ।

3 सीढियो पे में एक सीढ़ी उपर चढ़ि और पिया एक सीढ़ी निचे उतरे ।
और बिच की सीढ़ी पे मिलन सुहाना बना ।

यह मिलन सब मिलन से अलग है ।

सारे पंखी आके छत पे हमारे गोल गोल घेर के खड़े ही गए ।

तो पशु भी आके आधे धनी के पीछे आधे मेरे पीछे हो गए ।


उतने में एक खूब खुसालि हाथो में थाल लेके आई ।
थाल में सिंदूर , फूलो का हार लेके आई ।

इतने में सारे पशु ने संगीत का सुर सहनाई के राग को छेड़ा ।

और पंखी ओ ने मधुर स्वर छेड़े ।

पीया को मेने फूलो का हार पहनाया ।

तो पीया ने अपने हाथो में सिंदूर मांग में भर के ।

दुल्हन से अर्धाग्नि बना ने का सुख दिया ।

पशु पंखिओ ने फूलो की वर्षा करते हुवे उड़ने लगे ।

अब ना वो वो रहे
ना में में रही ।

अब हम हुवे ।

अद्वैत की भूमि में अद्वैत हुवे ।
सिंदूर से पिया ने मांग सजाई 
हमारे इश्क़ को गहराई दिलादि ।

पवन बसन्ती मन मधुबन से यह संदेश लायी है ।
दो सांसो की , दो रूह की आज मिलन रुत आई है ।
अब बसे तुजे देखा करू
तूजे प्यार करु ।

हर सिंगार यही बोले तुजे प्यार करू 

बस तुजे देखा करू
अब पीया के संग बैठी ।
सामने मेवा मिठाई सज के बेठे थे ।

पर आज तो मेरा नास्ता मेरा खाना पीना सब कुछ बस पिया का दीदार पीया का प्यार है ।

में तो बस उन्हें देखती रही और पिया ने अपने हाथो से आज की शुभ घड़ी पे मिठाई खिला के मुह मीठा करवाया ऐसा लगा ।

अब इश्क़ का एक और अंदाज निरत का आया ।

पीया के संग झूमना यह भी इश्क़ का अंदाज है ।

निरत के इस समय में पीया के दिल ने खुद मधुर संगीत छेड़ा 
और छन छन छनक ने लगी मेरी पायलिया ।
सुध बुध खोके बस पैरो ने छन छन करना सुरु किया।
आखिर पीया ने आके हाथ थामा और खुद भी आज संग संग झूमने लगे ।
आखिर आज में और तुम से हम हुवे हे ।

आके अब सिंहासन पर बेठे ।
मेरे दिल ने किया पिया इस खुसी को बढ़ाते हुवे चलिए सैर करने ।


उतने में घोड़े आ गए ।
हम घोड़े पे सवार होके बनो में घूमने चले ।

बनो में पशू पंखी आके मस्ती करने लगे ।

मेने पिया के लिए फूलो का हार बनाया अपने हाथो से और पीया ने अपने हाथ से आज पान बिडा बनाया मेरे लिए ।

☺☺☺☺







बनो से फल फूल पान बीड़ा मेवा लिए ।
और फिर ....
में झूले पे बेठी ।

और पिया मुझे झूला रहे है ।


 अब घूम के हम बड़ी बैठक में वापिस आये ।


और आके राज के हाथ से आज भोजन लेने के लिए राज भोग ले आये में ।



 पीया के हाथ से जो भोग आरोगू वही राज के हाथ में आते है राजभोग बन गया ।

पीया ने अपने हाथो से मुझे अरोगाया और मेने पीया को ।

सुहाना यह पल बस यही थम जाए ।
हम सामने एक दूजे पे युही इश्क़ बरसाए ।

राज भोग के बाद पिया मंदिर में ले आये मुझे ।
और यहां सब से सुंदर सुख मीला ।

पुहले पीया ने पान बीड़ी को अपने मुख में लेके आधा खाया ।
और आधा जब मुझे अपने हाथ से खिलाया ।
इस सुख का क्या कहना ।
जो सुख इस पल में था ।
वह बस यही थम जाए ।
पीया के इश्क़ में छुइ मुई से बन के सरमाना ।
उनका पास आके मुस्कुराना ।
छुइ मुई सी बन बेठी बाहो ने ऐसा घेरा। 
अब समय हुवा पिया आराम का ।।

पिया के इश्क़ में आराम और विश्राम है ।

बस यही रूह का घर है ।

No comments:

Post a Comment