Friday, 19 February 2016

भुलवनी के एक मंदिर के अखंड सुख

🌺🌺🌺🌺🌺प्रेम प्रणाम जी

 रूह ने खुद को महसूस किया कि नूरमयी मंदिर में ---उज्ज्वल रोशनी ,तेज के अंबार ,तेज से उठती तरंगें और इन तेज में शीतलता ,खुशबू समाई हुई ...विशालता लिए मंदिर की अद्भुत शोभा ..दरो-दीवारे सब दर्पण और दर्पण भी कैसा धाम का चेतन दर्पण ,पिऊ का आशिक दर्पण ,

एक दीवार की और नज़र की तो नज़र वहीं अटक गयी ---दीवार में प्यारी सी अकशी मेहेराब ,मेहेराब के कोने और दोनों और आएँ फूल ..सभी शोभा दर्पण में --बड़ी महेराब में पुनः तीन महेराब और ठीक मध्य में द्वार की शोभा और दाएँ बाएँ  महेराब में चित्रामन ..सभी शोभा दर्पण

चारों और दीवारें यूँ ही शोभित --नूरी फर्श पर दर्पण के नूरी कटाव कि रूहों के आगमन पर कटाव में आएँ फूल ,पत्ते यूँ खिल उठे मानो फर्श पर अति सुंदर पशमी गिलम बिछी हो --पल पल रूप बदलती ,कभी फूलों से सजी तो कभी क्रीड़ा करे पशु पक्षी ,नन्हीं नन्हीं तितलियाँ उनके बिखरते रंग --इन पर जब हम रूहें चली बड़ी ही अदा से ,नाज़ुकता से तो नूरी फर्श और भी कोमल हो रहा हैं और सुगंधी से हमे सराबोर कर रहा हैं ,हम भी तो   बड़ी नाज़ुकता से सावधानी से पाँव आगे बढ़ा रहे हैं --और नूरी सिंहासन कुर्सियाँ हाजिर हम धाम की सखियों के लिए ...उन पर विराजे और धाम धनी ने नज़ारे दिखाए भुलवनी के एक मंदिर के --

ऊपर नूरी झलकार करता चंद्रवा ,नूर की बारिश करता

एक ही मंदिर में इतने भाव कि खुद को भुला बैठे उनके लाड़ में उनके प्रीति में

सखियों के वस्त्रों और भूखनों की सुखदायी झलकार ,उनसे उठते हज़ारों प्रतिबिंब ,एक एक प्रतिबिंब के हज़ारो प्रतिबिंब --धाम के चेतन प्रतिबिंब ,धाम के सुखों में भिगोते ..धाम धनी की मेहर  ,उनके इलम की बरकत  ..कि कहीं फूल बाग में रमण करते एक सखी प्रतबिंब में झलकी तो दूसरे ही पल माणिक पहाड़ के हिंडोलों में धाम धनी के संग झूला झूलती नज़र आईं ,सामने युगल पिया ,हमारे धाम दूल्हा ,उनकी इश्कमयी नज़रे
अमृत बरसाती हुई तो दूजे ही पल अक्स आया पुखराजी ताल की चाँदनी का --बड़ा ही मनोरम दृश्य --फूलों से सजी चाँदनी और आसमान छूटी ऊँचाई से गिरती सोलह धाराएँ --मधुर ध्वनि पिया के इश्क में सब भुला देती हैं बस तू ही तू मेरे धनी 💧💧💧💧💧💧💧💧💧💧💥💥🙏

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