Friday, 19 February 2016

भुलवनी में विहार

प्रणाम जी सुंदर साथ जी

तो चले हम सब मिलकर ,एक जुट होकर भुलवनी में विहार करने

अपनी आत्मिक दृष्टि को मोड धाम की ओर

रंगमहल की दूजी भोंम की और

जहाँ लाल चबूतरा की हद से आगे जो 110 मंदिर आएँ है उनके भीतर की और भुलवनी की शोभा आईं हैं

तो देखे भुलवनी की अलौकिक ,अद्भुत शोभा

110 मंदिरों की 110 हारे कुल 12100 मंदिर की जगह हुई जिनमें ठीक मध्य 10 मंदिर की जगह में   मंदिर ना आकर चौक की शोभा आईं हैं |और इन चौक में 8 मंदिर का लंबा चौड़ा एक सीढ़ी ऊँचा चबूतरा आईं हैं जिसकी किनार पर आठ आठ थम्भ शोभा हैं | थम्भो में सुंदर महेराबे ---और चबूतरा को घेर कर एक मंदिर की परिक्रमा आईं हैं

अब 12000 मंदिरों की शोभा देखे

नूरी दर्पण के यह मंदिर

दीवारें ,चौखट ,द्वार ,जाली सब दर्पण की

साजो समान भी दर्पण का

हर मंदिर के चार द्वार तो गिनती करे तो 48000 द्वार हुए पर एक  भुलवनी की रामत --हाँसी तो धनी ने यही कर दी --प्रत्येक मंदिर में चार द्वार हैं --मंदिर आपस में सटे हुए आएँ हैं तो प्रत्येक द्वार दूसरे मंदिर में कम देता हैं तो इस तरह से देखन के चार और गिनती के 2 ही द्वार हुए

नूरी दर्पण में एक एक प्रतिबिंब के हज़ारो हज़ार प्रतिबिंब झलकते हैं --  मज़े की बात तो यह हैं कोई भी नकल नहीं लगती ..असल नकल की पहचान नहीं हो पाती |  तो आइए भुलवनी की रामत खेले --मंदिरों में जाकर बैठे और महसूस करे धाम के अखंड सुख

कभी चबूतरा पर बैठना ,धाम धनी ,युगल पिया श्रीराज-श्यामा जी के संग मीठी मीठी बाते करना ,श्री राज जी भी दिल देकर जिस सखी की बात सुने उनके सुखों की तो क्या कहे ?तो देखिए एक तो श्रीराज -श्यामा की छबि को ही एकटक निहार रही हैं तो कोई परिक्रमा में रमण कर रही हैं तो एक दूजी को अंक भर दौड़ना और अपने ही प्रतिबिंबो से जाकर टकरा जाना और यह टकराना भी उनके सुखों में गर्क कर रहा हैं

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