Friday, 19 February 2016

रामत का आनंद


दूजी भोम में जो भूलवनी के मंदिर आये हैं उनमे 110 मंदिर की 110 हारे आई है।कुल 12100 मंदिर होते है।12100 मंदिर के मध्य में 100 मंदिर की जगह में एक चौक शोभा दे रहा ह।जिसमे 64 मंदिरो की जगह में चबुतरा आया है।धनि संग साखियॉ यहाँ आकर भुलवनि की रमते करते है।हर तरफ नूरी दर्पन हैजहाँ सारे प्रतिबिंब चेतन और नूरी है।यहाँ धनि रूहो को अपने ही प्रतिबिंब से भुलाने की रामत कराते है।साखियॉ और राज श्यामजीके आभूषणों की झंकार उनका नूर यहाँ क मंदिरो के दर्पण में जब आपस  में टकराता ह तोअद्धभुत ध्वनि क साथ नूरी झाल कर होती है।इस भुलवनि क मंदिर में धनि क संग रामत करते हुए रूहे सब भूल जाती हैं और पिया विलास में मगन हो जाती है।किसी दर्पण में ये आभास होता ह की पिया रूहो को अपनी बाहो में भर रहे ह जब वो पिया की ओर बढ़ती है तो अपने ही प्रतिबिंब से टकरा जाती है।ऐसे में बहुतहास विलास होता है।धनि संग रूहो क साथ की गई इस रामत का आनंद और सुख परमधाम में आपार है।हमे अपने चिंतन सुरता से वहाँ विहार रमन करे।प्रणामजी 🙏🌹🌹🙏

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