Monday, 8 February 2016

सुंदरसाथ जी , चले रंगमहल की दूजी भोंम




🌟🌟🌟🌟प्रणाम जी

सुंदरसाथ जी , चले रंगमहल की दूजी भोंम

जहाँ भूलवनी की सुखदायी शोभा आईं हैं --नूरमयी दर्पण के 110 मंदिरों की 110 हारें आने से 12100 मंदिर होते हैं ..जिनमें ठीक मध्य भाग में 100 मंदिर का चौक आया हैं --तो यहाँ की शोभा को देखे ..

यहाँ आठ मंदिर का लंबा चौड़ा एक सीढ़ी ऊँचा चबूतरा आया हैं जिसको घेर कर एक मंदिर की परिक्रमा आईं हैं

तो साथ जी --आइए इन चौक में ..नूर के आलम में

सब सखियाँ मिलकर --नूरी चबूतरा ...पशमी गिलम की शोभा और देखिए

हम सब सखियों के आते ही सिंहासन कुर्सियाँ हाजिर

तो बैठे इन धाम की नूरी बैठको में और शोभा निरखे अपने घर

सुगंधी ही सुगंधी --पिऊ के इश्क ,मेहर और प्रीति का अहसास कराती

ऊपर नूरी चंद्रवा ..नूर बरसाता

चबूतरा की किनार पर नूरी दर्पण के थम्भ

और इन थम्भो में सुंदर नक्काशी से सुसज्जित महेराबे

चबूतरा को घेर कर सुंदर परिक्रमा में हाथों में हाथ थामें रमण करती हम सखियाँ

तो देखी शोभा हमने परिक्रमा की भीतरी किनार पर चबूतरा की शोभा

और अब देखे परिक्रमा के बाहिरी किनार से लगते दर्पण के मंदिर

आपस में सटे हुए

थम्भ --दीवारें --किवाड़ -पल्ले सब नूरी दर्पण से बने

देखी हमने शोभा की चबूतरा की जिस दिशा से भी देखे तो मंदिरों की अर्थात भूलवनी की हद 50 मंदिर की दूरी पर   हैं और हर मंदिर का द्वार दूसरे मंदिर में काम देता हैं

शोभा देखी एक नज़र में भूलवनी की -

तो अब भूलवनी की रामत करे

चबूतरा पर अरशे मिलावा विराजमान हैं ..कोई सखी खड़ी हैं तो कोई बैठी हैं ---कोई थम्भो से टेक लगा कर चबूतरा की किनार पर हैं तो कुछ सखियाँ परिक्रमा में रमण कर रही है तो कुछ मंदिरों में जाकर सेज्या पर बैठी हैं और प्रीतम संग लिए सुखों की चर्चा आपस में कर रही हैं --इनकी सखियों के वस्त्रों -आभूषणों की झलकार चारों और होती हैं ...झलकार ही झलकार --जोत के अंबार और एक एक सखी के हज़ारों -हज़ार प्रतिबिंब --कि असल नकल की पहचान ही नहीं हो पाती --असल को पकड़ने के ली दौड़ी सखी प्रतिबिंब से जाकर टकराती हैं तो बेशुमार  हाँसी होती हैं --अपने इन धाम के अखंड सुख जो पल पल बढ़ते हैं उन्हें महसूस करें 🌟🌟🌟🌟🙏😍😍

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