Saturday, 30 April 2016

मेरी प्यारी रूह ,आजा

आज मेरी प्यारी सखी क प्यारे भाव मन में हिलोरें ले रहे थे तो पिया ने जैसे चुपके से कहा ये सुख तो सब के है मेरी प्यारी रूह।आजा आज तुझे भी इश्क़ रास में सरबोरकर दू।और मेरी रूह चिंतन करते हुएअपने निज घर पहुच गई।जमुना जल में झीलना कर रंग महल के चांदनीचौक में जैसे ही प्रवेश किया ठंडी मीठी सुगन्धित बयार ने जैसे अंग अंग इश्क़ में भीगा दिया।मेरी रूह हौले हौले अपने कदम बढ़ा रही थी,दिल जोरो सेधड़क रहा था की पिया ने हाथ बढ़ाया।उनका कोमल गुलाबी स्पर्श पाकर मन रोमांचित हो गया।पिया ने कहा चल मेरी लाड़ली तुझे सुखसेज्या में ले चलु।मेरी आँखे बन्द ही थीऔर उसी बन्द आँखों में पिया क कोमल हाथो का स्पर्श पा के बेसुध सी उनके साथ चली जा रही हु।ये क्या अपने आप को रंग परवाली मंदिर क बाहर पाया।द्वार स्वतः ही खुल क स्वागत को आतुर थे।द्वार खुलते ही ऐसी ठंडी ठंडी हवा क झोके आये कीअंग अंग में अंदर तक सिहरन पैदा हो गई।पिया क कोमल हाथ मुझे अंदर ले आये।आँखे खोली तो खुद तो एक अदभुत मंदिर क अंदर पाया।पिया बोले आ मेरी लाड़ली कब से तेरे इंतजार में बैठा हु।तुझे गले लगाने।कहा खो गई थी तू।पिया की इन बातो को सुनकर आँखे छलक गई😭😭अपने हाथो से उन आंसुओ को पोछ के पिया बोले आ बैठ मेरे पास तुझे देखता रहू।वहाँ की अधभुत सोभा नूरी तकिये नूरी बेड नूरी गिलम हर कोई मुझे बाहे फैलाये बुला रहा था।पिया की आँखे मुझे कह रही थी की इस आपार सुख को छोड़ मेरी प्यारी तू कहा भटक रही थी।आ तुझे आज पूरा विश्राम दू।मेरी आँखे खुली की खुली ही रह गई।आज यहाँ की सेज्या देख कर धनि संग एकाकार हो जाने को जी चाहता है,उनके इश्क़ रंग में घुलमिल जाने को जी चाहता हैजिसमे रूह का अस्तित्व ही खत्म होकर पिया ही पिया रह जाये,और मेरी इस चाहना को एक पल में समझ गए मेरे पिया।हाथ पकड़ मुझे सेज्या पे बिठाया और अपने साथ यू एकाकार कर लिया की रूह अपना अस्तित्व खो कर धनि में विलीन हो गई।

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