🌺🌺🌺🌺 मेरी रूह चल रंगमहल की पाँचवी भोम
ख़ुद को महसूस करें पाँचवीं भोम
28 थम्ब के नूरी चौक से चले भीतर की और
सामने हवेलियों के फिरावे हैं आउर हवेलियों के मध्य त्रिपोलियों की शोभा हैं
मेरे पिया मुझे लेकर मध्य नूर से महकती गली से लेकर आगे बढ़ते हैं
नूर ही नूर बरसता हुआ और दोनों और हवेलियों के फिरावे
चौरस हवेली के चार फिरावे फिर गोल हवेली के चार फिरावे ,इस तरह से आठ फिरावे और नवा पाँच मोहोलों का
तो धाम धनी श्री राज जी के संग भीतर को चल रही हूँ और दोनों और गली और हवेलियों की अपार शोभा
नूर ,इश्क़ की बरखा में भिगोता समा ,मध्यम संगीत लहरी और सुहावनी रात में जगमगाती हवेलियाँ
रंगीनियाँ बिखेरती ,तेज़ के अंबार
चौरस ,गोल ,चौरस ,गोल इस तरह से आठ फिरावे पार किए आगे पंचमोहोल
अद्भुत शोभा
एक एक हवेली में पाँच पाँच मंदिर अपनी और रूह को खींचते
पंचमोहोल भी रूह ने पार किया तो ख़ुद को पाया धनी संग 28मंदिर की फुलवारी में
बेशुमार बाग़ बग़ीचे ,नहेरों और चहबच्चों की अपार शोभा
रूह को उल्लासित करते सुगंधी के पूर
और ठीक सामने 630मंदिरों की दीवार ,,,तीन चौकों की तीन हार
तो धनी ने रूह से मीठी आवाज़ से कहा ,आगे बढ़ ,यह तेरा ही तो असल मुक़ाम हैं ,सामने द्वार हैं तेरे लिए
आगे बढ़ और दूर कर रंगपरवाली मंदिर में आ
मैं वही हूँ ,आ तो मेरी सखी
मंत्रमुग्ध सी मैं सीधा आगे बढ़ती हूँ और कुछ ही पलों में ख़ुद को रंगपरवाली मंदिर के सामने पाती हूँ
और देखती हूँ ,,अपार ख़ुशहाल करने वाली मनोरम शोभा
दो मंदिर की लम्बाई चौड़ाई में आया यह मंदिर और चारों दिशा में मुख्य्द्वार के समान शोभित द्वार और भीतर गयी तो
बेहद ही सुखदायी शोभा
नूर ही नूर बरसता हुआ ,पिया जी ,वाला जी के लिए आरामदायक सेज्या और
उन पर विराजे मेरे प्राण वल्लभ
उनके चरणों में नमन कर रही हूँ और जैसे ही सर ऊपर उठाया तो ख़ुद को मरी सेज पर प्रियतम श्री राज जी के सम्मुख देखा और बर मैं उनकी नज़रों में खो जाना चाहती हूँ🌺🌺🌺🌺🌺👏🏻👏🏻👏🏻
ख़ुद को महसूस करें पाँचवीं भोम
28 थम्ब के नूरी चौक से चले भीतर की और
सामने हवेलियों के फिरावे हैं आउर हवेलियों के मध्य त्रिपोलियों की शोभा हैं
मेरे पिया मुझे लेकर मध्य नूर से महकती गली से लेकर आगे बढ़ते हैं
नूर ही नूर बरसता हुआ और दोनों और हवेलियों के फिरावे
चौरस हवेली के चार फिरावे फिर गोल हवेली के चार फिरावे ,इस तरह से आठ फिरावे और नवा पाँच मोहोलों का
तो धाम धनी श्री राज जी के संग भीतर को चल रही हूँ और दोनों और गली और हवेलियों की अपार शोभा
नूर ,इश्क़ की बरखा में भिगोता समा ,मध्यम संगीत लहरी और सुहावनी रात में जगमगाती हवेलियाँ
रंगीनियाँ बिखेरती ,तेज़ के अंबार
चौरस ,गोल ,चौरस ,गोल इस तरह से आठ फिरावे पार किए आगे पंचमोहोल
अद्भुत शोभा
एक एक हवेली में पाँच पाँच मंदिर अपनी और रूह को खींचते
पंचमोहोल भी रूह ने पार किया तो ख़ुद को पाया धनी संग 28मंदिर की फुलवारी में
बेशुमार बाग़ बग़ीचे ,नहेरों और चहबच्चों की अपार शोभा
रूह को उल्लासित करते सुगंधी के पूर
और ठीक सामने 630मंदिरों की दीवार ,,,तीन चौकों की तीन हार
तो धनी ने रूह से मीठी आवाज़ से कहा ,आगे बढ़ ,यह तेरा ही तो असल मुक़ाम हैं ,सामने द्वार हैं तेरे लिए
आगे बढ़ और दूर कर रंगपरवाली मंदिर में आ
मैं वही हूँ ,आ तो मेरी सखी
मंत्रमुग्ध सी मैं सीधा आगे बढ़ती हूँ और कुछ ही पलों में ख़ुद को रंगपरवाली मंदिर के सामने पाती हूँ
और देखती हूँ ,,अपार ख़ुशहाल करने वाली मनोरम शोभा
दो मंदिर की लम्बाई चौड़ाई में आया यह मंदिर और चारों दिशा में मुख्य्द्वार के समान शोभित द्वार और भीतर गयी तो
बेहद ही सुखदायी शोभा
नूर ही नूर बरसता हुआ ,पिया जी ,वाला जी के लिए आरामदायक सेज्या और
उन पर विराजे मेरे प्राण वल्लभ
उनके चरणों में नमन कर रही हूँ और जैसे ही सर ऊपर उठाया तो ख़ुद को मरी सेज पर प्रियतम श्री राज जी के सम्मुख देखा और बर मैं उनकी नज़रों में खो जाना चाहती हूँ🌺🌺🌺🌺🌺👏🏻👏🏻👏🏻
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