Friday, 1 April 2016

धरती नाचे अंबर नाचे में नाचू मेरा प्रीतम नाचे

अर्श में अनेको गुण है ।
जेसे की ...

नूर , आभा , प्रफुल्लता , चमक , सौंदर्य , कोमलता , चेतनता , सिगन्धितता , आनंद , उमंग , उल्लास , इश्क़ , प्रेम etc....

और दो गुण 

संगीत  🎵🎻🎸🎼
और
 निरत  💃🏻💃🏻

जब दिल अनंत आनंद खुसी में हो तब अपने आप यह दो गुण उभर आते है ।
खुसी और आनंद में दिल खुदब खुद नाचने लगता है मयूर बन के पंख फेला के 
और दिल की धड़कने संगीत बन जाती है। 

मेरे दिल की खुसी आनंद भी दुल्हन से अर्धांग्नी बनके इश्क़ के संगीत और निरत में झूमे ही जा रहा है ।
💃🏻🎸💃🏻💃🏻🎻💃🏻
धनी से अंखड शादी के बाद ।

मेरा दिल धनी को अलग अलग अदाओ से रिझाने के लिए ही कहे जा रहा है ।

आशिक़ का दावा करने वाली आतम मुझे बार बार आज आशिक़ बन के अपने धनी को रिझाने को कहे रही है ।

दिल की इसी आवाज में  में ऐसे खो गयी गहराई तक की खुद को भूल गयी ।
इस फानी दुनिया को भूल के आगे बढ़ चली ।

मेने खुद को दिल के संगीत से पन्ना जी में खड़ा पाया जहां संगीत की तान पे धनी की आरती चल रही थी मेने गुम्मट जी की परिक्रमा दबे पाउ करते हुवे धनी के आगे आके खड़ी हो गयी। 
धनी को और उनकी बैठक को गुम्मट जी के सिंहासन को निहारते हुवे मेरी आत्म ने खुद को अर्श में पाट घाट पे पाया ।

गर्मी की रुत में जमुना जी का जल मुझे अपनी और प्रेम भरे स्वागत से फुहार बन के उछलता हुवा नजर आया ।

जमुना जी की बूंद बूंद ने ऐसा भिगो दिया की तन मन रोम रोम में एक आकर्षण , खुशबु , मधहोसी , नशा भर दिया ।

जमुना जी की जल की तरंगे लहरो के मधुर संगीत में निरत करती हुवी मछलियो को मेने देखा और दिल ने कहा आज इसी निरत से इसी अदा से पीया को रिझाना है अपने और करीब लाना है ।

बस अब कहना ही क्या ...
पीया मन भाये ऐसा सिंगार सजके जमुना जी से आगे बढ़ी तो वनो को वृक्षो को देखा। 

वृक्षो में भी आज संगीत और निरत को ही देखा मेने ।
इश्क़ की मन्द मंद हवा के झोके मधुर संगीत बजाते हुवे वृक्षो को छु रहे है 
और हर पता पता डाली डाली उस संगीत ने झूलती हुवी निरत कर रही है जेसे मुझे एक अदा सीखा रही है पीया के ऐसे रिझाना ।

में दिल में इस शोभा को लिए आगे चली चांदनी चौक को निहार के सीढिया चढ के आगे चली ।
चौक से धाम दरवाजो को निहारते हुवे पार करके आगे चली ।

मूल मिलावे में जाके धनी का हाथ थामे उन्हें रसोई की हवेली ले चली ।
धनी सब बात मेरे दिल की जानते है फिर भी मुझसे पूछ रहे है मेरी प्यारी कहा ले चली ....
मेने खुद के मुख पे ऊँगली करते हुवे इशारे से कहा कुछ मत पूछे बस मेरे संग चलिए ।

रसोई की हवेली में सीढियो वाले मन्दिर की सीढियो से आगे बढ़ते हुवे धनी का हाथ कस के थामे उनके कदम से कदम मिलाते हुवे उन्हें आगे ले जा रही हु ।
थोडा आगे चलके पीया को आगे किया मेने और उनकी आँखों पे हाथ रखके उनकी पलके बन्ध करके उन्हें 4 भोंम के दरवाजे के सामने लाके खड़ा किया ।
पीया के नैनो से हाथ हटाते ही पिया ने सामने निरत की हवेली को देखा पीया कहने लगे आज नित नयी लीला इश्क़ की में से आज कोनसी लीला में मुझे खुद में और खुद मुज में डूबना चाहती में मेरी रूह ।

मेंने पीया के दिल पे तुरंत हाथ रखा और  मेरा सिर श्रवण अंग पिया के दिल पे रखते हुवे मेने कहा राज रशिक आज आप के दिल की धड़कन के संगीत में नाचने का दिल है ।
खुद नाचना है आप को संग नचाना है ।

धनी हसते हुवे मेरे सामने देखते है तो दिल की धड़कन के संगीत ने सुर पुरने लगी उनकी मीठी हँसी ।
पिया के हाथ को थामे पिया को चौथी भोम के अंदर ले चली ।
बड़े चौक में जहा सुंदर गिलम बिछी है जिसकी कोमलता का क्या कहना ऐसी गिलम पर 4 कदम आगे बढ़े ।

निरत की चौरस हवेली में जिसकी सोभा थम्भो मंदिरो से घेरी हुवी अनंत रंगो नंगो से सजी है ।

आज का निरत आज का संगीत कुछ नया है यह महेसुस मुझे करा रही थी हवेली। 
धनी को मेंने सुंदर सजे सिंहासन पे बिठाया ।
पल भर में मन चाहया संगीत का सिंगार मेरा हो गया। 
  कंचुकी , साडी , चरनियां और पिया मन भावन आभूषण का सिंगार सज के पीया को मेंने निहारा ।
और मीठी मुस्कान से पीया को रिझाते हुवे मेने नजर की तो अभी कोई भी बाजिन्त्र नजर नही आया ।

क्यों की आज मेरे बाजिन्त्र संगीत सब कुछ मेरा और धनी का दिल और दिलो की धड़कने जो है ।

जेसे ही मेने पीया को देखा तो पीया के दिल की धड़कने और तेज हो गयी ।
और धड़कनो से निकलने वाले संगीत स्वरूप् तरंगो ने बहते हुवे दिल से बहार आके स्वरूप् ने रूप लिया ।
हर एक धड़कन की तरंग अलग अलग बाजिन्त्र बन गयी। 


और ऐसे सज धज के बाजिन्त्रो ने अपनी जगह ली के मानो मेने अभी अभी इन्हें अपने हाथो से रखा है ।
पीया को आज आशिक़ बनके रिझाना है उनके इश्क़ ने नाचना है। 
बस दिल यही पुकार रहा है ।
अब बाजिन्त्र तैयार है पीया रीझने को तो में उन्हें रिझाने को तैयार हु ।


मेने घुटनों के बल बेठके निरत की एक अदा बनाते हुवे अपने चरणीये को खिलता हुवा गुलाब बनाते हुवे एक मनमोहिनी अदा बनायी ।
जो मेरे पिया मन भाये ।
बाजिन्त्रो ने जेसे ही अपने आप बजने की पहली ताल दी 
तो मेने भी दोनों हाथो को जोड़ ते हुवे ताली बजाके ताल दी ।
मेरी बन्ध ताली को मेंने बेल बूटे फूलो से सजी गिलम पर हाथ रखे तो फूलो ने चेतना तो को लिए आनंद में आके मेरे बन्ध हाथो में भर गए ।

मेने अपने हाथो की बन्ध हथेलियो को जोडे हुवे रखते ही दिल तक बिच में लाके धनी को प्रणाम करने की मुद्रा से पलको को मिचते हुवे इश्क़ का सिजदा किया ।
और बन्ध हाथो को खोलके फूलो को पिया पे उछालते हुवे प्यार किया। 


पीया ने मेरा इश्क़ भरा सिजदा कबूल करते हुवे उन फूलो में से एक गुलाब के फुल को अपने हाथो में लेके महेक लेते हुवे मुझे प्यार दिया।
बस अब क्या ।
इस इश्क़ की मजेदार मस्ती ने और जोर पकड़ा ।
और निरत की छन छन थैई थैई कार का मोहल सजने को तैयार हुवा। 
ताली की ताल देते हुवे पीया मन पिया को खुद में समाये लेने के भाव से पैरो ने थिरकना चालू किया पीया के दिल की धड़कन के बने बाजिन्त्रो ने ताल दिया तो तो मेरे मुख से पिया पिया तुही तुही और अनेको सूर में स्वर के साथ आलाप दिए ।
हर एक आभूषण  भी संगीत दे रहा है 
पीया मेरे शब्द बनके छा रहे है तो में उनकी गजल बनके गा रही हु ।

एक मधुर मीठा मन को लुभाने वाला संगीत और उस में इश्क़ के बोल सब्द इतना मधुर मिलन बना रहे है की उफ़.... क्या कहना ।

पीया निरत की हर एक अदा पे घायल हो रहे है ।
पीया अपने हाथो से फूलो की बरसात मुज  पे किये जा रहे है ।।

ए पल बस थम जा आज ।

जब मेने पेरो की गति को तेज करते हुवे घूमर किया तो चरणीये ने ऐसे गोल घूमते हुवे अदा ली के मानो में एक खिले गुलाब के बिचमें हु ।

एक पल में पेरो को मोड़ना तो दूजे पल आगे पीछे करना पेरो की इन हर अदा पे धनी रीझ रहे है ।
खुश हो रहे है ।

अब दिल भी बड़ा आशिकी अंदाज का है जहा ताल संगीत आलाप के बादसाह बेठे है वहा उन्हें बेठे कैसे रहने दे ।

आखिर एक आदा लिए कमद को लटकती चाल लिए पेरो की पायल की छम छम करते हुवे में आगे बढ़ी पीया के सामने हाथ आगे करते हुवे पिया ने भी एक पल भी देरी ना करते हुवे अपना हाथ मेरे हाथ में रखते हुवे खड़े हुवे। 

जिस पल का इन्तजार था वो अब आया है ।।
अब दिल ने करवट ली संगीत ने सुर बदले ।
जितने मीठे प्रेम पूर्ण पहले बजे अब उसे भी ज्यादा प्रेम इश्क़ सरारत लेते हुवे बजने लगे है। 


मेरे आभूषण भी पीया का स्पर्श पाके कुछ अलग अदा से बजने लगे है।
अब कहना ही क्या ।
पीया के हाथो में हाथ रख्खे हुवे नाचना ।।
कभी गोल घूम के उनके उनके सिने से लगना तो कभी एक साथ पेरो को हमरा चलना हाय हाय आज संगीत और निरत रूपी खंजर से मरने का जी चाहता है ।
दिलो जान लूटा के आज नाचने को जी चाहता है ।

रात के मधुर मौसम में संगीत का साथ निरत का ताल और पिया का प्यार क्या कहना ।।
पीया के साथ निरत को देख के दीवालों गिलम थंभ चन्द्रवा सब पे बनी नक्सकारी पुतलिया चेतन होके नाचने लगे है। 

मयूर उड़ के बाजिन्त्र पे आके बैठ गया है तो 
सिर पे चन्द्रवा फूलो की बरसात करे जा रहा है हम पे

तो पुतलिया भी नाच उठी है छन... छन... छम ...छम ...














मेरे कंगन ने ऐसी खनकार की है की पिया और पास आ गए है  ।
मेरी इन चुडिओ ने पिया को ला दिया है और पास
पीया के दिल की बोली ने मुजको सवारा प्यार भर ।


इस इश्क़ भरे निरत को संगीत को बड़ी रांग तक हेवेलिओ तक सभी खुबखुसालि पसु पक्षी देख रहे है तालियो की ताल से और ज्यादा इस पल को मधुर बना रहे है।








आज आशिक़ बन के बस मेरे धनी को रिझाना था मेरे धनी के होठो की लाली देख मैंने महेसुस किया मेरे दूल्हा आज माशूक बन के रीझे है 

दसो दिशाए नाच उठी है ना आज लखि रंग है ना सफेद ना पिला दसो दिशाए नूर बिखेरती हुवी अनंत रंगो से संगीत की तरंगे बन के नाच रही है। 
झरा झरा नाच उठा है ।

अब धनी के दिल से लग के मेने निरत बन्ध किया तो पिया बोले अब मुझे आशिक़ बन के तुम्हे रिझाना है।
तुम्हारी लालीमा को और बढ़ाना है ।
में खुस होती हुवी मुस्कुराती हुवी गिलम पे बैठी धनी भी मेरे साथ बैठे और इतने में एक मधुर सहनाई का संगीत बजा जो इतना मधुर आकर्षित करने वाला है की क्या कहना बस इतने में पिया के हाथो में पान बीड़ा सज के आ गया आज पिया ने पहले मुझे आधा पान खिलाया और मेने आधा धनी को खिलाते हुवे अपना सिर उनके दिल पे रखा ।


मधुर सहनाई की आवज समर्पण के सुख को याद दिला रही है।
धरती नाचे
अंबर नाचे
में नाचू 
मेरा प्रीतम नाचे
अंग अंग नाच रह्यो 

आज इश्क़ में।

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