Friday 8 July 2016

नूर भरी भोम सातमी

नूर भरी भोम सातमी, नूर मोहोल बिना हिसाब । 
बिना हिसाब चौक नूर के, सो भर्यो सागर नूर आब ।। ३७/८१ ।।

हिसाब नहीं नूर दिवालों, हिसाब नहीं नूर गलियां । 
हिसाब नहीं बीच नूर थंभ, नूर आवें नूर बीच से चलियां ।। ३७/८२ ।।

नूर भरे ताक खिडकियां, बार साखे नूर द्वार । 
कै मोहोल मंदिर नूर के, ना गिनती नूर सुमार ।। ८३ ।।

कै छूटक मंदिर नूर के, कै मंदिरों नूर मोहोलात । 
कै फिरते मंदिर नूर के, बीच बैठक नूर विसात ।। ८४ ।।


रंगमहल की सातवीं भोम नूरमयी हैं ,वहां के मोहोल ,मंदिर बेशुमार हैं ,नूर से लबरेज हैं  ,नूर के जगमगाते चौक अपार हैं ,ऐसा प्रतीत होता हैं कि नूर का सागर हिलोरें ले रहा हो ।इन भोम में नूरी दिवारों की अपार शोभा हैं ,नूर से झलकार करती सोहनी गलियां ,नूरी थम्भों के दरम्यान नूर ही व्याप्त हैं ।खिड़कियाँ ,रोशनदान ,मोहलतें ,मंदिर नूर के हैं जिनकी गणना नहीं की जा सकती हैं ।कई छोटे मंदिर नूर बिखेर रहे हैं तो कई स्थानों पर नूरी मोहोलातें शोभित हैं तो कहीं घेर कर मंदिर आएं हैं जिनमें बैठने के सुन्दर ,रमणीय स्थान हैं 


नूर झरोखे किनार के, तिन में नूर मंदर ।
नूर थंभ दो दो आगूं इन, हर मंदिर नूर अंदर ।। ८५ ।।

 ए जो मंदिर नूर किनार के, दो हारें नूर मंदर । 
साम सामी नूर हिडोले, नूर झलकत है अंदर ।। ८૭ ।।

यों फिरते नूर हिडोले, नूरै के गृदवाए । 
नूर सरूप रूहें बैठत, झूलें नूर जुगल दिल ल्याए ।। ८८ ।

सातवीं भूमिका में बाहिरी किनार पर नूरी छज्जा शोभित हैं और छज्जा के भीतरी तरफ मंदिरों की हार आईं हैं ।बाहिरी किनार पर ६००० मंदिर आएं हैं --मंदिरों के भीतरी और थम्भों की दो हारें  सुखकारी झलकार कर रही हैं -एक एक मंदिर के अंदर बेशुमार नूर हैं --नूर के सिंहासन ,नूर की सुख सेज्या और सभी पुरस्कार के साजो -सामान ।किनार पर आएं इन मंदिरों के भीतर थम्भों की हारों में आई मेहराबों में ६०००-६००० हिंडोलों की दो हारें नूर से जगमगा रही हैं --घेर कर इन थम्भों की मेहराबों में नूरी हिंडोलों में नूर स्वरूप ब्रह्म प्रियाें श्री राज-श्यामा जी के संग बड़े ही प्रेम से हिंडोले झूलती हैं -

दो दो सरूप नूर झूलत, नूर साम सामी मुकाबिल । 
कडे झनझनें नूर के, नूर खेलें झूलें हिल मिल ।। ८९ ।।

और रूह के नयनों से देखे -प्रत्येक हिंडोले पर दो-दो स्वरूप आमने सामने बैठकर हिंडोला झूलते हैं --इन समय हिंडोलों के कड़े बहुत ही मीठी आवाज से बजते हैं --नूर के स्वरूप आपस में बड़े ही प्यार ,प्रेम प्रीत से मिल जल कर नयनों से नयन जोड़ झूला झूलते हैं --

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