✍🏻 9 भोम चर्चनी । ✍🏻
दूरदर्शिका = छज्जा
नवमीं भोम को दुरदर्शिका या छज्जा कहा जाता है ।
क्यों की नवमीं भोम में बैठ कर धनी हमे दूर दूर तक अर्श की सुंदरता को दिखाते है ।
जिस तरह से घर में बैठे बैठे भी दूर दूर के समाचार देख सकते है वेसे ही एक स्थान पर बैठे बैठे ही बेहद अनंत अर्श के दूर दूर के सुखो को हम ले सकते है ।
साथ ही इसे छज्जा भी कहा जाता है क्यों की नवमीं भोम की शोभा छज्जे की तरह बनी हुई है
हमारा रंगमहोल 9 भोम का बना हुवा है 201 हास की गिर्द में बना है ।
जहां हर 3 भोम को छोड़ कर हर मन्दिर में 6 हजार मन्दिर की दो हारे बनी हुवी है ।
लेकिन 9 भोम में कुछ दूसरी भोमो से अलग शोभा आई हुवी है ।
201 हांस में सबसे पहले 6 हजार मंदिर की पहली हार आती है मन्दिर यानी 4 तरह 4 दीवाल से बना हुवा कमरा होता है ।
लेकिन इस भोम में पहली हार के 6 हजार मन्दिर की दाए बाए और सामने की दरवाजे की दीवाल नही आई हुवी है ।
केवल पीछे की दीवाल आई हुवी है ।
यानी की 4 दीवाल से एक कमरा बनता है उसकी जगह पर केवल एक लम्बी पीछे दीवाल बनी है आस पास और सामने की दीवाल नही बनी हुवी है ।
जिसके कारण 6 हजार मन्दिर की जगह पर यहां एक बड़ा चौक बना गया है ।
सामने की दरवाजे की दीवाल नही आने के कारण उसकी जगज पर वहा पर थंभ की सोभा बनी हुवी है ।
यानी एक जरूखे के समान पूरी शोभा बनी हुवी है ।
जिसके पीछे दीवाल है और सामने थंभ है ।
और उसी के आगे कठेडा बना हुवा है ।
और तीसरी भोम में जेसे पदसाल बनी हुवी है ।
उसी तरह 9 भोम के 201 हास को घेर कर 1 मंदिर का छज्जा बना हुवा है ढलकता हुवा ।।
चौक में धनी के बैठने के लिए सिंहासन और उसके आसपास हम रूहो के बेठने के लिए कुर्सियां आई हुवी है ।।
दूरदर्शिका = छज्जा
नवमीं भोम को दुरदर्शिका या छज्जा कहा जाता है ।
क्यों की नवमीं भोम में बैठ कर धनी हमे दूर दूर तक अर्श की सुंदरता को दिखाते है ।
जिस तरह से घर में बैठे बैठे भी दूर दूर के समाचार देख सकते है वेसे ही एक स्थान पर बैठे बैठे ही बेहद अनंत अर्श के दूर दूर के सुखो को हम ले सकते है ।
साथ ही इसे छज्जा भी कहा जाता है क्यों की नवमीं भोम की शोभा छज्जे की तरह बनी हुई है
हमारा रंगमहोल 9 भोम का बना हुवा है 201 हास की गिर्द में बना है ।
जहां हर 3 भोम को छोड़ कर हर मन्दिर में 6 हजार मन्दिर की दो हारे बनी हुवी है ।
लेकिन 9 भोम में कुछ दूसरी भोमो से अलग शोभा आई हुवी है ।
201 हांस में सबसे पहले 6 हजार मंदिर की पहली हार आती है मन्दिर यानी 4 तरह 4 दीवाल से बना हुवा कमरा होता है ।
लेकिन इस भोम में पहली हार के 6 हजार मन्दिर की दाए बाए और सामने की दरवाजे की दीवाल नही आई हुवी है ।
केवल पीछे की दीवाल आई हुवी है ।
यानी की 4 दीवाल से एक कमरा बनता है उसकी जगह पर केवल एक लम्बी पीछे दीवाल बनी है आस पास और सामने की दीवाल नही बनी हुवी है ।
जिसके कारण 6 हजार मन्दिर की जगह पर यहां एक बड़ा चौक बना गया है ।
सामने की दरवाजे की दीवाल नही आने के कारण उसकी जगज पर वहा पर थंभ की सोभा बनी हुवी है ।
यानी एक जरूखे के समान पूरी शोभा बनी हुवी है ।
जिसके पीछे दीवाल है और सामने थंभ है ।
और उसी के आगे कठेडा बना हुवा है ।
और तीसरी भोम में जेसे पदसाल बनी हुवी है ।
उसी तरह 9 भोम के 201 हास को घेर कर 1 मंदिर का छज्जा बना हुवा है ढलकता हुवा ।।
चौक में धनी के बैठने के लिए सिंहासन और उसके आसपास हम रूहो के बेठने के लिए कुर्सियां आई हुवी है ।।
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