सातवीं भोम की तरह ही आठवीं भोम की शोभा आई हुवी है .....
फर्क केवल हिंडोलो की संख्या में है , महेराब की शोभा में
और हिंडोले से बजने वाली सुंदर ताली में ही है ...
बाकी सारी शोभा 7 भोम के समान ही है ..
201 हांस से बना हमारा रंग महोल ।
8 भोम भी बहार से 201 हांस की सुंदर शोभा लिए हुवे है ।।
पूर्व की तरह से अंदर प्रवेश करते है तो सबसे पहले सामने 28 थंभ का चौक आया हुवा है ...
जो 10 मन्दिर का लम्बा और 5 मन्दिर का चौड़ा है।
चौक की शोभा में पूर्व पश्चिम दिशा में 10-10 थंभ आये है तो आमने सामने उत्तर दक्षिण दिशामे 4 - 4 थंभ आये हुवे है....
इस जगह चौक आने से खुली जगह बनी हुवी है जिसके कारण बिच के मंदिर नही आये है .....
201 हांस की हद से थोड़ी जगह छोड़के 6 हजार मंदिर की हार घेर कर आई है.,...
6 हजार मन्दिर को छोड़ क्र आगे पहली एक गली आई हुवी है...
गली से आगे बढ़ते हुवे पहले थंभ की हार आई है ।
उससे आगे फिर एक दूसरी गली बनी हुवी है ।
गली को पार करते हुवे थंभो भी दूसरी हार आई हुवी है ।
थम्भो की हार से आगे चलते हुवे एक और तीसरी गली बनी हुवी है ।
और उससे आगे 6 हजार मंदिर की दूसरी हार आई है ।
इस तरह से 6 हजार मन्दिर के दो हारो के बिच में ही हिंडोले की सोभा थंभ और गलियो में बनी हुवी है
इस तरह से गिनती में ...
1. 6 हजार मन्दिर
2. 6 हजार थंभ की
3. 6 महेराब पूर्व तरह
4. 6 हजार थंभ की
5. 6 हजार महेराब पश्चिम तरह
6. थम्भो के जोड़ती बिच की उत्तर दक्षिण 6 महेराब
7. 6 हजार मन्दिर
इस तरह से पूरी शोभा बनी हुवी है ।
12 हजार मन्दिरो के बिच में
12 हजार थंभ बने है और 12 हजार थंभ के ऊपर 18 हजार महेराब सुंदरता लिए हुवे बनी है ।
इन 18 हजार महेराबो में 18 हजार हिंडोले आये है
।
जहा हम सब रूहे राज जी और स्यामाजी के संग झूला झूलती है ।।
फर्क केवल हिंडोलो की संख्या में है , महेराब की शोभा में
और हिंडोले से बजने वाली सुंदर ताली में ही है ...
बाकी सारी शोभा 7 भोम के समान ही है ..
201 हांस से बना हमारा रंग महोल ।
8 भोम भी बहार से 201 हांस की सुंदर शोभा लिए हुवे है ।।
पूर्व की तरह से अंदर प्रवेश करते है तो सबसे पहले सामने 28 थंभ का चौक आया हुवा है ...
जो 10 मन्दिर का लम्बा और 5 मन्दिर का चौड़ा है।
चौक की शोभा में पूर्व पश्चिम दिशा में 10-10 थंभ आये है तो आमने सामने उत्तर दक्षिण दिशामे 4 - 4 थंभ आये हुवे है....
इस जगह चौक आने से खुली जगह बनी हुवी है जिसके कारण बिच के मंदिर नही आये है .....
201 हांस की हद से थोड़ी जगह छोड़के 6 हजार मंदिर की हार घेर कर आई है.,...
6 हजार मन्दिर को छोड़ क्र आगे पहली एक गली आई हुवी है...
गली से आगे बढ़ते हुवे पहले थंभ की हार आई है ।
उससे आगे फिर एक दूसरी गली बनी हुवी है ।
गली को पार करते हुवे थंभो भी दूसरी हार आई हुवी है ।
थम्भो की हार से आगे चलते हुवे एक और तीसरी गली बनी हुवी है ।
और उससे आगे 6 हजार मंदिर की दूसरी हार आई है ।
इस तरह से 6 हजार मन्दिर के दो हारो के बिच में ही हिंडोले की सोभा थंभ और गलियो में बनी हुवी है
इस तरह से गिनती में ...
1. 6 हजार मन्दिर
2. 6 हजार थंभ की
3. 6 महेराब पूर्व तरह
4. 6 हजार थंभ की
5. 6 हजार महेराब पश्चिम तरह
6. थम्भो के जोड़ती बिच की उत्तर दक्षिण 6 महेराब
7. 6 हजार मन्दिर
इस तरह से पूरी शोभा बनी हुवी है ।
12 हजार मन्दिरो के बिच में
12 हजार थंभ बने है और 12 हजार थंभ के ऊपर 18 हजार महेराब सुंदरता लिए हुवे बनी है ।
इन 18 हजार महेराबो में 18 हजार हिंडोले आये है
।
जहा हम सब रूहे राज जी और स्यामाजी के संग झूला झूलती है ।।
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