💐💐💐💐💐रूह की अर्ज़ --हे मेरे धाम धनी ,मेरे प्राण वल्लभ ,मेरे श्री राज जी इतना बल दो मुझे कि आँखे खुली हो या बंद मैं आपके दर्शन करूँ ,
एक पल के लिए भी आपके चरणों से दूर ना हूँ --
आपका नूरी दीदार करती रहूं --
निस दिन ,अष्ट पहर चौसठ घड़ी मेरी सुरता आपके श्री चरणों में मूल मिलावा में रहे -
रंगमहल का पाँचवा चौक मूल मिलावे का हैं |जिसमें साठ मंदिर हैं और चार दरवाजे चारों दिशाओं में हैं |रंगों नंगों से झिलमिलाते जवेरातों के मंदिर एक रस हैं ,चेतन हैं ,उनकी दीवारों पर आया चित्रामन अद्भुत हैं |घेर कर आएँ इन साठो मंदिरों के दरवाजे सुशोभित हो रहें हैं |
गोलाई में आएँ इन मंदिरों के द्वार एक से बढ़कर एक सुन्दर द्वारों के पल्ले ,चौखट की शोभा --हे मेरे धनी देखती रहूं --
चौसठ थम्भ मंदिरों के बाहिरी और हैं और चौसठ थम्भ अंदर एवं चौसठ थम्भ चबूतरे की किनार पर हैं |एक थम्भ , मानो सूर्य के सामने सूर्य हो | एक एक थम्भ की नक्काशी ,उनका चित्रामन का नूर ,उनका जोत मेरे धनी मैं बार बार देखूं --
मंदिरों के भीतरी तरफ एक थम्भ की हार और दो नूर से लबरेज गलियों में रमण करूँ
मूल मिलावा के ठीक मध्य चौसठ पहल का चबूतरा देखूं ,चबूतरा का नूर ,खुश्बू मुझे आपके इश्क रस में सराबोर करे --हे धनी फेर फेर किनार पर आएँ चौसठ थम्भो की शोभा निहारूं --हर शह में जर्रे जर्रे मैं मेरे पिया तुझे देखूं --
आप ही मुझे बाँह पकड़ कर दिखाए चबूतरा की शोभा --चारों दिशा में आएँ द्वारों की अलौकिक शोभा --पूर्व की और देखी शोभा तो पाच का द्वार ,पश्चिम में नीलवी नंग का द्वार ,उत्तर में पुखराज नंग और दक्षिण मे माणिक का द्वार --उनकी निर्मल जोत ,आमने सामने झलकार करती --
और चारों द्वारों के मध्य खाँचे में आएँ सोलह थम्भ -- चारों खाँचों में हीरा, लसनिया, गोमादिक, मोती, पन्ना, परवाल, हेम, नूर, चाँदी, कँचन, पिरोजा और कपूरिया के थम्भ आये है ।
और चबूतरा पर बिछी नरमों में नरम गिलम ,उन पर आया चित्रामन औरदुलीचे को घेर कर श्याम ,श्वेत ,हरित और जर्द (पीला) रंग की अत्यंत ही मनोरम ,तेजोमयी दोरी की अद्भुत शोभा --मेरे धनी मैं देखूं --
ऊपर नूरी चंद्रवा की जोत --
चारों और झिलमिल जोत और चबूतरा की गिलम में खिले हज़ार पांखुड़ी फूल पर रखा स्वर्णिम सिंहासन पर मेरे युगल पिया श्री राज श्यामा जी विराजे हैं ,आपके नूरी ,कोमल चरणों में रहूं हर पल मेरे धनी -💐💐💐💐💐🙏🙏🙏
एक पल के लिए भी आपके चरणों से दूर ना हूँ --
आपका नूरी दीदार करती रहूं --
निस दिन ,अष्ट पहर चौसठ घड़ी मेरी सुरता आपके श्री चरणों में मूल मिलावा में रहे -
रंगमहल का पाँचवा चौक मूल मिलावे का हैं |जिसमें साठ मंदिर हैं और चार दरवाजे चारों दिशाओं में हैं |रंगों नंगों से झिलमिलाते जवेरातों के मंदिर एक रस हैं ,चेतन हैं ,उनकी दीवारों पर आया चित्रामन अद्भुत हैं |घेर कर आएँ इन साठो मंदिरों के दरवाजे सुशोभित हो रहें हैं |
गोलाई में आएँ इन मंदिरों के द्वार एक से बढ़कर एक सुन्दर द्वारों के पल्ले ,चौखट की शोभा --हे मेरे धनी देखती रहूं --
चौसठ थम्भ मंदिरों के बाहिरी और हैं और चौसठ थम्भ अंदर एवं चौसठ थम्भ चबूतरे की किनार पर हैं |एक थम्भ , मानो सूर्य के सामने सूर्य हो | एक एक थम्भ की नक्काशी ,उनका चित्रामन का नूर ,उनका जोत मेरे धनी मैं बार बार देखूं --
मंदिरों के भीतरी तरफ एक थम्भ की हार और दो नूर से लबरेज गलियों में रमण करूँ
मूल मिलावा के ठीक मध्य चौसठ पहल का चबूतरा देखूं ,चबूतरा का नूर ,खुश्बू मुझे आपके इश्क रस में सराबोर करे --हे धनी फेर फेर किनार पर आएँ चौसठ थम्भो की शोभा निहारूं --हर शह में जर्रे जर्रे मैं मेरे पिया तुझे देखूं --
आप ही मुझे बाँह पकड़ कर दिखाए चबूतरा की शोभा --चारों दिशा में आएँ द्वारों की अलौकिक शोभा --पूर्व की और देखी शोभा तो पाच का द्वार ,पश्चिम में नीलवी नंग का द्वार ,उत्तर में पुखराज नंग और दक्षिण मे माणिक का द्वार --उनकी निर्मल जोत ,आमने सामने झलकार करती --
और चारों द्वारों के मध्य खाँचे में आएँ सोलह थम्भ -- चारों खाँचों में हीरा, लसनिया, गोमादिक, मोती, पन्ना, परवाल, हेम, नूर, चाँदी, कँचन, पिरोजा और कपूरिया के थम्भ आये है ।
और चबूतरा पर बिछी नरमों में नरम गिलम ,उन पर आया चित्रामन औरदुलीचे को घेर कर श्याम ,श्वेत ,हरित और जर्द (पीला) रंग की अत्यंत ही मनोरम ,तेजोमयी दोरी की अद्भुत शोभा --मेरे धनी मैं देखूं --
ऊपर नूरी चंद्रवा की जोत --
चारों और झिलमिल जोत और चबूतरा की गिलम में खिले हज़ार पांखुड़ी फूल पर रखा स्वर्णिम सिंहासन पर मेरे युगल पिया श्री राज श्यामा जी विराजे हैं ,आपके नूरी ,कोमल चरणों में रहूं हर पल मेरे धनी -💐💐💐💐💐🙏🙏🙏
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