अर्श में जमुना जी में झिलन करके आगे बढ़ते है तो नजरो के सामने 7 वृक्ष के 7 वन आये है.....
उत्तर दिशा से दक्षिण दिशा में देखने पर...
1.केल
2.लिम्बोई
3.अनार
4.अमृत
5.जांबु
6.नारंगी
7. बट
के वृक्ष के वन आए है...
इन्हें 7 घाट कहते है ।।
इनमें से 6 वन एक ही लाइन में क्रमशः आए है...
जबकी बट के वृक्ष की जगह पर कुंज निकुंज आने से बट का वन एक ही लाइन में आया नही है ।।
उत्तर से दक्षिण की तरफ देखते हुवे 1 वन 500 मंदिर की चौड़ाई का आया है...
केल वन उत्तर से दक्षिण 500 मंदिर का है...
इस तरह एक ही लाइन में आए 6 वन का माप 500 मंदिर का है....
500×6= 3000
3000 मंदिर की जगह में 6 वन 500 500 मंदिर के आए है.....
अब पश्चिम से पूर्व की तरफ से यह वः लंबाई में 2000 मंदिर की लंबाई में आए है ।।
इस तरह एक वन की चौड़ाई 500 मंदिर और लंबाई 2000 मंदिर की है इसी तरह 6 वन आए है ।।
अब 6 वनो को अलग अलग करती 6 वनो के बिच में चलने के लिए जगह यानी रोंस आई है....
यानी केल 🍌 और लिम्बोई🍋 वन के बिच में 1 रोंस आई है ।।
इस तरह
1.केल
2.लिम्बोई
3.अनार
4.अमृत
5.जांबु
6.नांरगी
के बीच में रोंस आई है ।।
जो दो वनो को अलग करती है ।
यह रोंस केवल खड़ी यानी पश्चिम से पूर्व में ही आई है ।।
इस तरह से 6 वनो के बिच में 6 रोंस आई है ।।
एक रोंस 2 मंदिर की बनी है ।।
यानी केल वन में से 1 मंदिर की जगह और लिम्बोई वन से एक मंदिर की जगह लेकर 2 मंदिर की रोंस बनी है ।।
1 रोंस को लगकर दाए बाए 2 नहरे आई है ।।
इस तरह से 6 खड़ी रोंस को लगकर 12 खड़ी नहरे आई है ।।
6 खड़ी रोंस × 2 नहरे दाए बाए = 12 नहरे आई है ।।
यह हुई वनो की खड़ी बात...
अब 6 वनो के बिच में उत्तर से दक्षिण दिशा में 5 आडी नहरे आई है ।।
5 आड़ी नहरो के कारण एक 2000 मन्दिर के लंबे वन के 4 चौक बन गए है ।।
इस तरह से हर वन के 4 चौक बने है ।।
इस तरह आडी और खड़ी शोभा से चौक बने है ।।
1 चौक 500 मंदिर का बना है ।
चौक में आए वृक्ष 2 मंदिर की दुरी पर आए है ।।
🌳-----2 मन्दिर----🌳
इस तरह
500 का चौक
2 मंदिर दुरी पर वृक्ष इस तरह एक चौक में 250 वृक्ष आए है ।।
500÷2 = 250 वृक्ष
वन तो सभी एक समान ही है....
लेकिन एक केवल अमृत वन विशेष है....
केल
लिम्बोई
अनार
अमृत
जांबू
नारंगी
बट
7 वन में अमृत वन बिच में रंग महोल के दरवाजे के सामने आता है....
इस लिए....
अमृत वन को दो भागो में बांटा गया है....
एक वन के 2 भाग कर दिए है....
अमृत वन पूरा 500 मंदिर का चौड़ा आया है....
इसमें अमृत वन के मध्य में 2 मंदिर की रोंस आई है....
अमृत वन को दो भागो में बाटती यह रोंस जो है उसके दाए बाए नहरे नही आई है...
500 मंदिर के वन को 2 मंदिर की रोंस ने बांट दिया जिसके कारण...
अमृत वन दो हिस्सों में बट गया ।
500 - 2 = 498
498÷2 = 249
इस तरह अमृत वन के दो हिस्से 249 249 मंदिर के बन गए है....
अब 5 आडी नहरो ने 1 वन के 4 चौक बनाए थे ।।
लेकिन अमृत वन 2 हिस्सों में बंट ने से एक हिस्से के 4 चौक और दूसरे हिस्से के 4 चौक ऐसे पूरा अमृत वन के 8 चौक बन गए है ।।
🙏🏻🙌🏻🙏🏻
अमृत वन की लंबाई 2000 मंदिर की है...
लेकिन अमृत वन के धाम दरवाजे के सामने 166 मंदिर का चांदनी चौक इसी अमृत वन की जगह में बना है...
यह जो खड़ी रौंस आई है उसका माप 1998 है...
क्योकि धाम के सामने 2 मंदिर की रोंस की जगह खुली आई है...
इस कारण...
अमृत वन की लंबाई 2000 मंदिर की है..
लेकिन आगे परिक्रमा वाली रोंस के कारण 2 मंदिर कट गए...
जिससे वह 1998 की खड़ रोंस और नहरे बन गयी....
अब अमृत वन का 166 मंदिर भाग चांदनी चौक ने ले लिया...
जिससे कारण...
अमृत वन 1832 मंदिर के भाग में आया है.....
1998-166 = 1832
🙏🏻🌳🙏🏻
उत्तर दिशा से दक्षिण दिशा में देखने पर...
1.केल
2.लिम्बोई
3.अनार
4.अमृत
5.जांबु
6.नारंगी
7. बट
के वृक्ष के वन आए है...
इन्हें 7 घाट कहते है ।।
इनमें से 6 वन एक ही लाइन में क्रमशः आए है...
जबकी बट के वृक्ष की जगह पर कुंज निकुंज आने से बट का वन एक ही लाइन में आया नही है ।।
उत्तर से दक्षिण की तरफ देखते हुवे 1 वन 500 मंदिर की चौड़ाई का आया है...
केल वन उत्तर से दक्षिण 500 मंदिर का है...
इस तरह एक ही लाइन में आए 6 वन का माप 500 मंदिर का है....
500×6= 3000
3000 मंदिर की जगह में 6 वन 500 500 मंदिर के आए है.....
अब पश्चिम से पूर्व की तरफ से यह वः लंबाई में 2000 मंदिर की लंबाई में आए है ।।
इस तरह एक वन की चौड़ाई 500 मंदिर और लंबाई 2000 मंदिर की है इसी तरह 6 वन आए है ।।
अब 6 वनो को अलग अलग करती 6 वनो के बिच में चलने के लिए जगह यानी रोंस आई है....
यानी केल 🍌 और लिम्बोई🍋 वन के बिच में 1 रोंस आई है ।।
इस तरह
1.केल
2.लिम्बोई
3.अनार
4.अमृत
5.जांबु
6.नांरगी
के बीच में रोंस आई है ।।
जो दो वनो को अलग करती है ।
यह रोंस केवल खड़ी यानी पश्चिम से पूर्व में ही आई है ।।
इस तरह से 6 वनो के बिच में 6 रोंस आई है ।।
एक रोंस 2 मंदिर की बनी है ।।
यानी केल वन में से 1 मंदिर की जगह और लिम्बोई वन से एक मंदिर की जगह लेकर 2 मंदिर की रोंस बनी है ।।
1 रोंस को लगकर दाए बाए 2 नहरे आई है ।।
इस तरह से 6 खड़ी रोंस को लगकर 12 खड़ी नहरे आई है ।।
6 खड़ी रोंस × 2 नहरे दाए बाए = 12 नहरे आई है ।।
यह हुई वनो की खड़ी बात...
अब 6 वनो के बिच में उत्तर से दक्षिण दिशा में 5 आडी नहरे आई है ।।
5 आड़ी नहरो के कारण एक 2000 मन्दिर के लंबे वन के 4 चौक बन गए है ।।
इस तरह से हर वन के 4 चौक बने है ।।
इस तरह आडी और खड़ी शोभा से चौक बने है ।।
1 चौक 500 मंदिर का बना है ।
चौक में आए वृक्ष 2 मंदिर की दुरी पर आए है ।।
🌳-----2 मन्दिर----🌳
इस तरह
500 का चौक
2 मंदिर दुरी पर वृक्ष इस तरह एक चौक में 250 वृक्ष आए है ।।
500÷2 = 250 वृक्ष
वन तो सभी एक समान ही है....
लेकिन एक केवल अमृत वन विशेष है....
केल
लिम्बोई
अनार
अमृत
जांबू
नारंगी
बट
7 वन में अमृत वन बिच में रंग महोल के दरवाजे के सामने आता है....
इस लिए....
अमृत वन को दो भागो में बांटा गया है....
एक वन के 2 भाग कर दिए है....
अमृत वन पूरा 500 मंदिर का चौड़ा आया है....
इसमें अमृत वन के मध्य में 2 मंदिर की रोंस आई है....
अमृत वन को दो भागो में बाटती यह रोंस जो है उसके दाए बाए नहरे नही आई है...
500 मंदिर के वन को 2 मंदिर की रोंस ने बांट दिया जिसके कारण...
अमृत वन दो हिस्सों में बट गया ।
500 - 2 = 498
498÷2 = 249
इस तरह अमृत वन के दो हिस्से 249 249 मंदिर के बन गए है....
अब 5 आडी नहरो ने 1 वन के 4 चौक बनाए थे ।।
लेकिन अमृत वन 2 हिस्सों में बंट ने से एक हिस्से के 4 चौक और दूसरे हिस्से के 4 चौक ऐसे पूरा अमृत वन के 8 चौक बन गए है ।।
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अमृत वन की लंबाई 2000 मंदिर की है...
लेकिन अमृत वन के धाम दरवाजे के सामने 166 मंदिर का चांदनी चौक इसी अमृत वन की जगह में बना है...
यह जो खड़ी रौंस आई है उसका माप 1998 है...
क्योकि धाम के सामने 2 मंदिर की रोंस की जगह खुली आई है...
इस कारण...
अमृत वन की लंबाई 2000 मंदिर की है..
लेकिन आगे परिक्रमा वाली रोंस के कारण 2 मंदिर कट गए...
जिससे वह 1998 की खड़ रोंस और नहरे बन गयी....
अब अमृत वन का 166 मंदिर भाग चांदनी चौक ने ले लिया...
जिससे कारण...
अमृत वन 1832 मंदिर के भाग में आया है.....
1998-166 = 1832
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